भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गीतावली पद 91 से 100 तक/पृष्ठ 1" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…) |
|||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
}} | }} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | 091 | |
− | + | '''.रागमलार''' | |
+ | |||
+ | जब दोउ दसरथ-कुँवर बिलोके | | ||
+ | जनक नगर नर-नारि मुदित मन निरखि नयन पल रोके || | ||
+ | |||
+ | बय किसोर, घन-तड़ित-बरन तनु नखसिख अंग लोभारे | | ||
+ | दै चित, कै हित, लै सब छबि-बित बिधि निज हाथ सँवारे || | ||
+ | |||
+ | सङ्कट नृपहि, सोच अति सीतहि, भूप सकुचि सिर नाए | | ||
+ | उठे राम रघुकुल-कुल-केहरि, गुर-अनुसासन पाए || | ||
+ | |||
+ | कौतुक ही कोदण्ड खण्डि प्रभु, जय अरु जानकि पाई | | ||
+ | तुलसिदास कीरति रघुपतिकी मुनिन्ह तिहूँ पुर गाई || | ||
+ | |||
</poem> | </poem> |
16:12, 31 मई 2011 के समय का अवतरण
091
.रागमलार
जब दोउ दसरथ-कुँवर बिलोके |
जनक नगर नर-नारि मुदित मन निरखि नयन पल रोके ||
बय किसोर, घन-तड़ित-बरन तनु नखसिख अंग लोभारे |
दै चित, कै हित, लै सब छबि-बित बिधि निज हाथ सँवारे ||
सङ्कट नृपहि, सोच अति सीतहि, भूप सकुचि सिर नाए |
उठे राम रघुकुल-कुल-केहरि, गुर-अनुसासन पाए ||
कौतुक ही कोदण्ड खण्डि प्रभु, जय अरु जानकि पाई |
तुलसिदास कीरति रघुपतिकी मुनिन्ह तिहूँ पुर गाई ||