|संग्रह=फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKPrasiddhRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
गौरव के गोबर -गणेश सा मारे आसन
नारिकेल-से सिर पर बांधे धर्म -मुरैठा,
ग्राम -बधुटी काी की गौरी-गोदी पर बैठा,
नागमुखी पैत्रक संपत्ति की थैली खोले,
जीभ निकाले, बात बनाता करूणा घोले,