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"रात को मोर / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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बोलते हैं मोर
 
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रह-रह
 
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रात को ।
 
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रात को  
 
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रह-रह ।
 
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बहुत गहरे ।
 
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बहुत गहरे ।
 
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अंधेरे में ।
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नींद के इन
 
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किन कपाटों
 
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बीच ।
 
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रह-रह
 
रह-रह
 
 
बोलते हैं--
 
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रात को ।
 
रात को ।
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18:05, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

बोलते हैं मोर
रह-रह
रात को ।

रात को
रह-रह ।

बहुत गहरे ।
बहुत गहरे ।
अंधेरे में ।

नींद के इन
किन कपाटों
बीच ।

रह-रह
बोलते हैं--

रात को ।