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"बहकी हुई है चाल, कोई देखता न हो / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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यह भी है पर ख़याल, कोई देखता न हो | यह भी है पर ख़याल, कोई देखता न हो | ||
01:42, 10 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
बहकी हुई है चाल, कोई देखता न हो
ऐसा हमारा हाल, कोई देखता न हो
हम चाहते हैं, प्यार तेरा देख ले दुनिया
यह भी है पर ख़याल, कोई देखता न हो
क्या तू न ख़ुद को भी था दिखाने को बेक़रार
तब क्यों है यह सवाल, 'कोई देखता न हो'!
दम भर कहीं नज़र जो उलझ ही गयी तो क्या!
दिल को ज़रा सँभाल, कोई देखता न हो
क्यों फूल रहा आप ही अपने में तू, गुलाब!
जब तेरा यह कमाल कोई देखता न हो