भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम मत घटाना / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल |संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल }} तुम घ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल | |संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल | ||
}} | }} | ||
− | + | <Poem> | |
− | + | ||
तुम घटाना मत | तुम घटाना मत | ||
− | |||
अपना प्रेम | अपना प्रेम | ||
− | |||
तब भी नहीं | तब भी नहीं | ||
− | |||
जब लोग करने लगें | जब लोग करने लगें | ||
− | |||
उसका हिसाब । | उसका हिसाब । | ||
− | |||
ठगा हुआ पाओ | ठगा हुआ पाओ | ||
− | |||
अपने को | अपने को | ||
− | |||
अकेला | अकेला | ||
− | |||
एक दिन-- | एक दिन-- | ||
− | |||
तब भी नहीं । | तब भी नहीं । | ||
− | |||
मत घटाना | मत घटाना | ||
− | |||
अपना प्रेम । | अपना प्रेम । | ||
− | |||
बंद कर देगी तुमासे बोलना | बंद कर देगी तुमासे बोलना | ||
− | |||
नहीं तो | नहीं तो | ||
− | |||
धरती यह चिड़िया यह घास यह-- | धरती यह चिड़िया यह घास यह-- | ||
− | |||
मुँह फेर लेगा आसमान । | मुँह फेर लेगा आसमान । | ||
− | |||
नहीं, तुम घटाना नहीं | नहीं, तुम घटाना नहीं | ||
− | |||
अपना प्रेम । | अपना प्रेम । | ||
+ | </poem> |
18:29, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
तुम घटाना मत
अपना प्रेम
तब भी नहीं
जब लोग करने लगें
उसका हिसाब ।
ठगा हुआ पाओ
अपने को
अकेला
एक दिन--
तब भी नहीं ।
मत घटाना
अपना प्रेम ।
बंद कर देगी तुमासे बोलना
नहीं तो
धरती यह चिड़िया यह घास यह--
मुँह फेर लेगा आसमान ।
नहीं, तुम घटाना नहीं
अपना प्रेम ।