भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कोंकाबेली / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल |संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल }} उगी ह...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल | |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=अधूरी चीज़ें तमाम / प्रयाग शुक्ल |
}} | }} | ||
02:17, 5 जुलाई 2007 का अवतरण
उगी है कोंकाबेली
फूली
पानी में--
फूलती थी जैसे बचपन में ।
पौधे ये और
फूल ये और
सुबह ये और
पर फूली है
कोंकाबेली
फूलती थी जैसे
मेरे बचपन के
इस
गाँव में !