भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"परदेदारी भी, बेहिज़ाबी भी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
हम नमाज़ी भी हैं, शराबी भी
 
हम नमाज़ी भी हैं, शराबी भी
  
दिल का ऐसा है एक मुकाम जहाँ
+
दिल का ऐसा है एक मुक़ाम जहाँ
 
काम आती न कामयाबी भी
 
काम आती न कामयाबी भी
  

02:00, 12 अगस्त 2011 का अवतरण


परदेदारी भी, बेहिज़ाबी भी
ख़त है सादा तेरा, जवाबी भी

सुब्ह को और शाम को कुछ और
हम नमाज़ी भी हैं, शराबी भी

दिल का ऐसा है एक मुक़ाम जहाँ
काम आती न कामयाबी भी

यों तो मिलता है अजनबी-सा कोई
रंग आँखों का है गुलाबी भी

ले उड़ी दूर तक हवायें, गुलाब
लाख पत्तों ने बात दाबी भी