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"प्यार यों तो सभीसे मिलता है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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पिएगा छकके कोई, कोई घूँट भर को तरसेगा
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प्यार यों तो सभीसे मिलता है
ये नूर पर तेरे चेहरे से यों ही बरसेगा
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दिल नहीं हर किसीसे मिलता है
  
गले से लगके नहीं हिचकियाँ रुकेंगी अब
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हम सुरों में सजा रहे हैं उसे
बरसने आया है बादल तो जमके बरसेगा
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दर्द जो ज़िन्दगी से मिलता है
  
अभी तो राह में काँटे बिछा रहा है, गुलाब!
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यों तो नज़रें चुरा रहा है कोई
कभी ये बाग़ तुझे देखने को तरसेगा
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प्यार भी बेरुख़ी से मिलता है
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क्या हुआ मिल लिए अगर हम-तुम!
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आदमी, आदमी से मिलता है!
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हों पँखुरियाँ गुलाब की ही मगर
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रंग उनकी गली से मिलता है
 
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01:42, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


प्यार यों तो सभीसे मिलता है
दिल नहीं हर किसीसे मिलता है

हम सुरों में सजा रहे हैं उसे
दर्द जो ज़िन्दगी से मिलता है

यों तो नज़रें चुरा रहा है कोई
प्यार भी बेरुख़ी से मिलता है

क्या हुआ मिल लिए अगर हम-तुम!
आदमी, आदमी से मिलता है!

हों पँखुरियाँ गुलाब की ही मगर
रंग उनकी गली से मिलता है