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"ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर / गणेश गम्भीर" के अवतरणों में अंतर

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आज गम्भीर लिख ही डालेगा ,
 
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अपने सरे विचार चेहरे पर !
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12:47, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर
आ गयी है बहार चेहरे पर

एक संदेह सर उठता है ,
रंग आये हजार चेहरे पर !

झुर्रिया चादर है फूलो की ,
बन गयी एक मजार चेहरे पर

लाश पाई गयी सुधारो की,
दाग थे बेशुमार चेहरे पर!

आज गम्भीर लिख ही डालेगा ,
अपने सारे विचार चेहरे पर !