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हेमेन्द्र जी, | हेमेन्द्र जी, | ||
बहुत बहुत धन्यवाद प्रत्युत्तर देने के लिए।आपका सुझाव बहुत अच्छा है कभी समय मिला तो नई रचनाएं जोड़ने का काम भी करूंगी जो अभी मुझे पता नहीं है सीखना पड़ेगा।वैसे संशोधन करने में ज्यादा समय लगता है।आप तो बहुत काम कर रहे हैं ...महिलाओं को घर भी देखना पड़ता है इसलिए समय कम मिलता है।एक बार पुन:आभार.. | बहुत बहुत धन्यवाद प्रत्युत्तर देने के लिए।आपका सुझाव बहुत अच्छा है कभी समय मिला तो नई रचनाएं जोड़ने का काम भी करूंगी जो अभी मुझे पता नहीं है सीखना पड़ेगा।वैसे संशोधन करने में ज्यादा समय लगता है।आप तो बहुत काम कर रहे हैं ...महिलाओं को घर भी देखना पड़ता है इसलिए समय कम मिलता है।एक बार पुन:आभार.. | ||
− | + | रमा द्विवेदी--[[सदस्य:Ramadwivedi|Ramadwivedi]] १७:१८, ८ जुलाई २००७ (UTC) | |
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22:52, 8 जुलाई 2007 के समय का अवतरण
आदरणीय रमा जी, कविता कोश सम्मान मिलने पर आपने मुझे जो शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं, उसके लिए धन्यवाद। आप रामचरित मानस के संपादन का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं,साथ ही साथ कुछ रचनायें भी कविता कोश में जोड़ने का कार्य प्रारंभ करें तो आप जैसे बुद्धिजीवियों का कविता कोश को सही लाभ मिलेगा। तकनीकी समस्यायों से न घबराएँ। मैंने भी कम्प्यूटर की विधिवत शिक्षा नहीं ली है, जो भी करता हूँ बस देख-देखकर सीखते हुए करता हूँ। और यदि गलती हुई भी तो ललित जी हैं ही। सादर - हेमेन्द्र कुमार राय 07 जुलाई 07
हेमेन्द्र जी, बहुत बहुत धन्यवाद प्रत्युत्तर देने के लिए।आपका सुझाव बहुत अच्छा है कभी समय मिला तो नई रचनाएं जोड़ने का काम भी करूंगी जो अभी मुझे पता नहीं है सीखना पड़ेगा।वैसे संशोधन करने में ज्यादा समय लगता है।आप तो बहुत काम कर रहे हैं ...महिलाओं को घर भी देखना पड़ता है इसलिए समय कम मिलता है।एक बार पुन:आभार.. रमा द्विवेदी--Ramadwivedi १७:१८, ८ जुलाई २००७ (UTC)