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"विश्वास / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारी कविता में
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मन होता जब
बहुत बार
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बहुत उदास
हथेलियों के बीच…
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कविता पास आ जाती
मरी तितलियों का रंग उतरता है
+
अनायास
बहुत बार
+
 
  
तुम्हारी कविता में रंग भरता है
 
ऊंचे
 
चिड़िया मासूम कोई जब
 
बाज़ के पंजों में समाती है
 
शब्दों की बहादुरी
 
तुम्हारी कविता में भर जाती है
 
मेरी संवेदना
 
जाने क्यों
 
इन पन्नों पर जाती हुई
 
शर्माती है।
 
  
  
 
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20:46, 19 जुलाई 2011 का अवतरण


मन होता जब
बहुत उदास
कविता पास आ जाती
अनायास