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"पिछाण / हरीश बी० शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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− | + | पाणी पड़यो, फूल चुग लिया | |
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+ | अबै ई कीं कोनी। | ||
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14:24, 8 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
सरीर रो सिरजक
पांच-पदारथ नैं रळा‘र
आपां नैं
मिनख जमारो दियो
पण आपां कांईं दियो पाछो ?
बातां-बातां में
हवा निकळी, लाय लागी
हाड़ तिड़क्या, राख बणी
आभै में भिळग्या धुओं बण‘र
पाणी पड़यो, फूल चुग लिया
.........
माटी में नांव,
हवा में सांस,
अर पाणी में हाड़।
पैला ना तो की हा,
अबै ई कीं कोनी।