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"लोग पूछेंगे / इब्ने इंशा" के अवतरणों में अंतर

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लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम
 
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और जो दिल में आए सो कहियो
 
और जो दिल में आए सो कहियो
 
 
"यूँ ही माहौल की गिरानी है
 
"यूँ ही माहौल की गिरानी है
 
 
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
 
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
 
 
कितने बोझिल हैं शाम के साए"
 
कितने बोझिल हैं शाम के साए"
 
 
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
 
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
 
 
नाम उनका न दरमियाँ आए
 
नाम उनका न दरमियाँ आए
 
 
नाम उनका न दरमियाँ आए
 
नाम उनका न दरमियाँ आए
 
 
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
 
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
 
 
"कितने बोझिल हैं शाम के साए
 
"कितने बोझिल हैं शाम के साए
 
 
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
 
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
 
 
यूँ ही माहौल की गिरानी है"
 
यूँ ही माहौल की गिरानी है"
 
 
और जो दिल में आए सो कहियो
 
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लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम ?
 
लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम ?
 
  
 
(रचनाकाल : 1948)
 
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19:17, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम
और जो दिल में आए सो कहियो
"यूँ ही माहौल की गिरानी है
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
कितने बोझिल हैं शाम के साए"
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
नाम उनका न दरमियाँ आए
नाम उनका न दरमियाँ आए
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
"कितने बोझिल हैं शाम के साए
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
यूँ ही माहौल की गिरानी है"
और जो दिल में आए सो कहियो
लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम ?

(रचनाकाल : 1948)