भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम न आए / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: मन पराग-केसर कुम्हलाए तुम न आए {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवनीश सिंह चौहा…) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatNavgeet}} | {{KKCatNavgeet}} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
+ | मन पराग-केसर कुम्हलाए | ||
+ | तुम न आए | ||
+ | |||
सुरभित सुमन, गूँज भँवरे की | सुरभित सुमन, गूँज भँवरे की | ||
मन में कितने फूल बिछाए | मन में कितने फूल बिछाए |
03:53, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
मन पराग-केसर कुम्हलाए
तुम न आए
सुरभित सुमन, गूँज भँवरे की
मन में कितने फूल बिछाए
आम्र लताएँ, पिक की कुँजन
मन में मेरे मोर नचाए
रूप-कूक का मौसम जाए
तुम न आए
नीला व्योम, बोल चातक के
मन में मेरे आग लगाए
स्वाति-नक्षत्र सत्र प्राणों का
मन में मेरे राग जगाए
कबसे बैठे पलक बिछाए
तुम न आए
गूंगे दिन, कालिख रातों का
मन में मेरे रंज बढ़ाए
रिश्ता भूल गए बाती का
मन ने मेरे प्रश्न उठाए
नेह-छोह में पलक भिगाए
तुम न आए