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आज  बसंती  चोला  तेरा,  मैं  भी सज लूं,  लाल  बनूँ :<br>
 
तू  भगिनी  बन क्रांति कराली, मैं भाई  विकराल बनूँ |<br>
 
 
भाई  एक  लहर  बन आया, बहन  नदी  की  धारा  है:<br>
 
भाई  एक  लहर  बन आया, बहन  नदी  की  धारा  है:<br>
 
संगम  है,  गंगा  उमड़ी  है,  डूबा  कुल  किनारा  है |<br>
 
संगम  है,  गंगा  उमड़ी  है,  डूबा  कुल  किनारा  है |<br>

21:32, 12 अगस्त 2011 का अवतरण

Butterfly-orange-48x48.png  एक काव्य मोती

भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है:
संगम है, गंगा उमड़ी है, डूबा कुल किनारा है |
कविता कोश में गोपाल सिंह नेपाली