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"कि तुम मुझे मिलीं / रामानन्द दोषी" के अवतरणों में अंतर
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कि दीप को प्रकाश-रेख  | कि दीप को प्रकाश-रेख  | ||
चाँद को नई किरन ।  | चाँद को नई किरन ।  | ||
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| + | कि स्वप्न-सेज साँवरी  | ||
| + | सरस सलज सजा रही  | ||
| + | कि साँस में सुहासिनी  | ||
| + | सिहर-सिमट समा रही  | ||
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| + | कि साँस का सुहाग  | ||
| + | माँग में निखर उभर उठा  | ||
| + | कि गंध-युक्त केश में  | ||
| + | बाधा पवन सिहर उठा  | ||
| + | कि प्यार-पीर में विभौर  | ||
| + | बन चली कली सुमन   | ||
| + | कि तुम मुझे मिलीं  | ||
| + | मिला विहान को नया सृजन ।  | ||
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15:25, 13 अगस्त 2011 का अवतरण
कि तुम मुझे मिलीं
मिला विहान को नया सृजन
कि दीप को प्रकाश-रेख
चाँद को नई किरन ।
कि स्वप्न-सेज साँवरी
सरस सलज सजा रही
कि साँस में सुहासिनी
सिहर-सिमट समा रही
कि साँस का सुहाग
माँग में निखर उभर उठा
कि गंध-युक्त केश में
बाधा पवन सिहर उठा
कि प्यार-पीर में विभौर
बन चली कली सुमन 
कि तुम मुझे मिलीं
मिला विहान को नया सृजन ।
	
	