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नेता (दो) / अक्षय उपाध्याय
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10:06, 26 अगस्त 2011
फूलेगा तू
और एक ही दिन में
पचास
वर्शःओं
वर्षों
की कमी छू लेगा
कभी यहाँ
कभी वहाँ
मौसम के झूले पे झूलेगा
बातों की सिक्कड़ में
बंधी
बँधी
तेरी आत्मा
चोर दरवाज़ों से साँस लेगी
अनिल जनविजय
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