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"कौवे / राजा खुगशाल" के अवतरणों में अंतर

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08:51, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

वे पेड़ की टहनियों पर

रात के टुकड़ों की तरह बैठे हैं ।


वे वातावरण को काटने के लिए

अपनी आवाज़ में

आरी का इस्तेमाल करते हैं ।


उन्हें देखते ही

आतंकित उड़ती हैं चिड़ियाँ ।


माँएँ उनकी ओर कंकड़ फेंकती हैं

वे बच्चों के हाथों से

रोटी छीन लेते हैं।


वे पेड़ की टहनियों पर

रात के टुकड़ों की तरह बैठे हैं ।