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"मैं और मेरा दुख / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर
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11:35, 25 नवम्बर 2011 का अवतरण
दुख : किसी चिड़िया के अभी जन्मे बच्चे सा
किंतु सुख : तमंचे की गोली जैसा
मुझको लगा है।
आप ही बताएँ
कभी आप ने चलती हुई गोली को चलते,
या अभी जन्मे बच्चे को उड़ते हुए देखा है?