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"आँधी और आग / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर

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12:52, 30 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

अब तक ग्रह कुछ बिगड़े बिगड़े से थे इस मंगल तारे पर
नई सुबह की नई रोशनी हावी होगी अँधियारे पर
उलझ गया था कहीं हवा का आँचल अब जो छूट गया है
एक परत से ज्यादा राख़ नहीं है युग के अंगारे पर।