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"क्यों कभी / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर
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हवा का कुछ नहीं | हवा का कुछ नहीं |
11:03, 28 नवम्बर 2011 का अवतरण
क्याक रे वह
जो कभी लू है
कभी बर्फ़ानी
आँधी कभी
शीतल कभी समीर—
हवा का कुछ नहीं
अपना
मौसम हो कर वह
जैसे छूटी है मुझ को
मुझ में हो कर
क्यों कभी
मौसम नहीं होती वह ?
—
4 जून, 2009