भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्यों कभी / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
जो कभी लू है
 
जो कभी लू है
 
कभी बर्फ़ानी
 
कभी बर्फ़ानी
आँध कभी
+
आँधी कभी
 
शीतल कभी समीर—
 
शीतल कभी समीर—
 
हवा का कुछ नहीं
 
हवा का कुछ नहीं

11:03, 28 नवम्बर 2011 का अवतरण

क्याक रे वह
जो कभी लू है
कभी बर्फ़ानी
आँधी कभी
शीतल कभी समीर—
हवा का कुछ नहीं
               अपना

मौसम हो कर वह
जैसे छूटी है मुझ को
मुझ में हो कर
       क्यों कभी
मौसम नहीं होती वह ?

4 जून, 2009