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"आहटें आसपास (कविता) / पंकज सिंह" के अवतरणों में अंतर
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23:47, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण
कितनी छायाएँ कितने हथियार चीखें कितनी
कितनी रोटियाँ कितना नून
कितने अदृश्य अपराध
सबकुछ धो डालती-सी बारिशें
फिर कितना अंधड़ कितनी लू
कितना यह संचय सब
सदियों से कितनी व्यथाएँ हाथ बांधे
कितना बड़ा होने का इतिहास
सुनो
कितनी-कितनी
आहटें
कितनी कितनी आहटें
आसपास
(रचनाकाल:1980)