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"हरी, सिहरी शाख / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर
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16:04, 1 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
दूर काली पथरीली चट्टान पर
झूमता है अकेला वह
एक वीराने को भरता हुआ
झरती पत्तियों के साथ
खाली हवाओं में रच रही है
हरी धुन कोई
हर सुर
सभी को शाख करता हुआ
हरी, सिहरी शाख !
(1980)