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"पाँच मूर्तियाँ / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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तुमने
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यह विखंडित मूर्ति
  
प्रतिमा का सिर काट लिया,
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मथुरा की सड़क पर
  
पर लोगों ने उसे सिर झुकाना नहीं छोड़ा है।
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मिली मुझको,
  
तुमने मूर्ति को नहीं तोड़ा,
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शीश-हत,
  
लोगों की आस्‍था को नहीं तोड़ा है।
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जाँघें पसारे
  
और आस्‍था ने
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::खुले में विपरीत-रति-रत
  
बहुत बार
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::अरे, यह तो पंश्‍चुली है!
  
कटे सिर को कटे धर से जोड़ा है।
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शेष भाग शीघ्र ही टंकित कर दिया जाएगा।

20:11, 11 दिसम्बर 2011 का अवतरण


यह विखंडित मूर्ति

मथुरा की सड़क पर

मिली मुझको,

शीश-हत,

जाँघें पसारे

खुले में विपरीत-रति-रत
अरे, यह तो पंश्‍चुली है!


शेष भाग शीघ्र ही टंकित कर दिया जाएगा।