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"कहाँ है घर ? / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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गदर में जैसे शहर है
 
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           कहाँ है घर ?
 
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घर जिसे आराम कहते हैं
 
घर जिसे आराम कहते हैं
 
थकी-माँदी शाम कहते हैं
 
थकी-माँदी शाम कहते हैं

13:47, 12 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

कहाँ हैं घर ?
शहर में जैसे गदर है
गदर में जैसे शहर है
           कहाँ है घर ?

घर जिसे आराम कहते हैं
थकी-माँदी शाम कहते हैं
एक लम्बी साँस लेकर
             राम कहते हैं

दूर बौनी बस्तियों में
एक डर है
ज़िन्दगी गन्दी गटर है
              कहाँ है घर ?

रेंगती चिकनी तहों में फूट
हर तरफ़ है शातिराना लूट
भद्रजन पोशाक में
             पाले हुए रँगरूट

यह अमीरों का
ग़रीबों पर कहर है
मुस्कराहट में ज़हर है
            कहाँ है घर...

शहर में पूरा गदर है
गदर में सारा शहर है
             कहाँ है घर ?