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हिरोशिमा / अज्ञेय
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{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=
अरी ओ करुणा प्रभामय / अज्ञेय;
सुनहरे शैवाल / अज्ञेय
}}
{{KKCatKavita}}
जली हुई छाया
मानव की साखी है।
'''दिल्ली-इलाहाबाद-कलकत्ता (रेल में), 10-12 जनवरी, 1959'''
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