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"खुल गई नाव / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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: खुल गई नाव
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      खुल गई नाव
 
घिर आई संझा, सूरज
 
घिर आई संझा, सूरज
:डूबा सागर-तीरे।
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धुंधले पड़ते से जल-पंछी
 
धुंधले पड़ते से जल-पंछी
 
भर धीरज से
 
भर धीरज से
:मूक लगे मंडराने,
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        मूक लगे मंडराने,
 
सूना तारा उगा
 
सूना तारा उगा
 
चमक कर
 
चमक कर
:साथी लगा बुलाने।
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तब फिर सिहरी हवा
 
तब फिर सिहरी हवा
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तब फिर मूर्छित
 
तब फिर मूर्छित
 
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व्यथा विदा की
:जागी धीरे-धीरे।
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        जागी धीरे-धीरे।
 
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14:59, 17 दिसम्बर 2011 का अवतरण

       खुल गई नाव
घिर आई संझा, सूरज
        डूबा सागर-तीरे।

धुंधले पड़ते से जल-पंछी
भर धीरज से
        मूक लगे मंडराने,
सूना तारा उगा
चमक कर
        साथी लगा बुलाने।

तब फिर सिहरी हवा
लहरियाँ काँपीं
तब फिर मूर्छित
व्यथा विदा की
        जागी धीरे-धीरे।