भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दस्तकें / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Prabhat.gbpec (चर्चा | योगदान) (uploaded by Prabhat) |
Prabhat.gbpec (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 28: | पंक्ति 28: | ||
जिसको बरसों से आना है | जिसको बरसों से आना है | ||
− | या बस यूँ ही रस्ता | + | या बस यूँ ही रस्ता तकना |
हर जीवन का जुर्माना है | | हर जीवन का जुर्माना है | |
19:49, 20 जनवरी 2012 का अवतरण
दरवाज़े पर हर दस्तक का
जाना-पहचाना
चेहरा है
रोज़ बदलती हैं तारीखें
वक़्त मगर
यूँ ही ठहरा है
हर दस्तक है 'उसकी' दस्तक
दिल यूँ ही धोका खता है
जब भी
दरवाज़ा खुलता है
कोई और नज़र आ जाता है |
जाने वो कब तक आएगा ?
जिसको बरसों से आना है
या बस यूँ ही रस्ता तकना
हर जीवन का जुर्माना है |