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जन्म : 11 दिसंबर 1968, गाँव भिखारी रामपुर, भदोही, (उ.प्र.) | जन्म : 11 दिसंबर 1968, गाँव भिखारी रामपुर, भदोही, (उ.प्र.) | ||
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+ | शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की ही पाठशाला से। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम।ए. और वहीं से तारसप्तक के कवियों के काव्य-सिद्घान्त पर पीएच.डी. की उपाधि ली। यूजीसी के रिसर्च फैलो रहे। | ||
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प्रकाशित कृतियाँ : सिर्फ कवि नहीं (1991); हम जो नदियों का संगम हैं (2000); दुख तंत्र (2004),ख़त्म नहीं होती बात (2010) | प्रकाशित कृतियाँ : सिर्फ कवि नहीं (1991); हम जो नदियों का संगम हैं (2000); दुख तंत्र (2004),ख़त्म नहीं होती बात (2010) | ||
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पुरस्कार/सम्मान : भारतभूषण अग्रवाल सम्मान (1999); संस्कृति सम्मान (2000); गिरिजा कुमार माथुर सम्मान (2000); हेमंत स्मृति सम्मान(2001) | पुरस्कार/सम्मान : भारतभूषण अग्रवाल सम्मान (1999); संस्कृति सम्मान (2000); गिरिजा कुमार माथुर सम्मान (2000); हेमंत स्मृति सम्मान(2001) | ||
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+ | अन्यः कुछ कविताएँ देशीविदेशी भाषाओं में अनूदित हैं। दो कविताएँ मास्को विश्वविद्यालय के एम।ए. के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती हैं। दो कविताएँ गोवा विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल थीं। | ||
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+ | सम्पर्कः श्रीगणेश को.हा.सो, स्वातंत्रय वीर सावरकर मार्ग, सेक्टर नं.3, प्लॉट नं. 233, फ्लैट नं. 3, चारकोप, कांदीवली (पश्चिम) मुम्बई - 400067 | ||
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+ | मो. : 098202-12573 | ||
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+ | ब्लॉग : http://vinay-patrika.blogspot.com | ||
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+ | समकालीन हिन्दी कविता में युवा कवि बोधिसत्व एक चिर परिचित महत्वपूर्ण नाम है। हाल ही में राजकमल प्रकाशन से बोधिसत्व की कविताओं का चौथा संकलन ख़त्म नहीं होती बात प्रकाशित हुआ है। संकलन के शीर्षक ख़त्म नहीं होती बात की तरह ही बोधिसत्व की कविताओं की विविधता ख़त्म ही नहीं होती। कहीं आम आदमी के जीवन की कुछ त्रासदियाँ तो कहीं रिश्तों की स्मृतियाँ, कहीं गाँव तो कहीं नदी के घाट, कहीं प्रेम तो कहीं उहापोह में डूबा मन, बोधिसत्व की कविता में सभी सहजता से चले आते हैं। दीदी, पिता, नानी आदि सभी रिश्तों पर बोधिसत्व के यहाँ बेहतरीन कविताएँ होती हैं। इन कविताओं में गहन संवेदनाओं की अनुभूति एक कवि की ज़िम्मेदार दृष्टि को बखूबी बताती है। बोधिसत्व के यहाँ ऐसे विषयों पर भी बड़ी सहजता से कविता होती है जिन पर आसानी से कलम नहीं चलती, जैसे कोहली स्टूडियो, हैंडिल पर नाम, ग्राम वधू, लाल भात आदि। | ||
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14:55, 20 फ़रवरी 2012 का अवतरण
नाम : बोधिसत्व
जन्म : 11 दिसंबर 1968, गाँव भिखारी रामपुर, भदोही, (उ.प्र.)
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की ही पाठशाला से। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम।ए. और वहीं से तारसप्तक के कवियों के काव्य-सिद्घान्त पर पीएच.डी. की उपाधि ली। यूजीसी के रिसर्च फैलो रहे।
प्रकाशित कृतियाँ : सिर्फ कवि नहीं (1991); हम जो नदियों का संगम हैं (2000); दुख तंत्र (2004),ख़त्म नहीं होती बात (2010)
पुरस्कार/सम्मान : भारतभूषण अग्रवाल सम्मान (1999); संस्कृति सम्मान (2000); गिरिजा कुमार माथुर सम्मान (2000); हेमंत स्मृति सम्मान(2001)
अन्यः कुछ कविताएँ देशीविदेशी भाषाओं में अनूदित हैं। दो कविताएँ मास्को विश्वविद्यालय के एम।ए. के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती हैं। दो कविताएँ गोवा विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल थीं।
सम्पर्कः श्रीगणेश को.हा.सो, स्वातंत्रय वीर सावरकर मार्ग, सेक्टर नं.3, प्लॉट नं. 233, फ्लैट नं. 3, चारकोप, कांदीवली (पश्चिम) मुम्बई - 400067
मो. : 098202-12573
ई- मेल: abodham@gmail.com
ब्लॉग : http://vinay-patrika.blogspot.com
समकालीन हिन्दी कविता में युवा कवि बोधिसत्व एक चिर परिचित महत्वपूर्ण नाम है। हाल ही में राजकमल प्रकाशन से बोधिसत्व की कविताओं का चौथा संकलन ख़त्म नहीं होती बात प्रकाशित हुआ है। संकलन के शीर्षक ख़त्म नहीं होती बात की तरह ही बोधिसत्व की कविताओं की विविधता ख़त्म ही नहीं होती। कहीं आम आदमी के जीवन की कुछ त्रासदियाँ तो कहीं रिश्तों की स्मृतियाँ, कहीं गाँव तो कहीं नदी के घाट, कहीं प्रेम तो कहीं उहापोह में डूबा मन, बोधिसत्व की कविता में सभी सहजता से चले आते हैं। दीदी, पिता, नानी आदि सभी रिश्तों पर बोधिसत्व के यहाँ बेहतरीन कविताएँ होती हैं। इन कविताओं में गहन संवेदनाओं की अनुभूति एक कवि की ज़िम्मेदार दृष्टि को बखूबी बताती है। बोधिसत्व के यहाँ ऐसे विषयों पर भी बड़ी सहजता से कविता होती है जिन पर आसानी से कलम नहीं चलती, जैसे कोहली स्टूडियो, हैंडिल पर नाम, ग्राम वधू, लाल भात आदि।