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"मदद करना बहुत दुश्वार था / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर
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07:03, 28 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
मदद करना बहुत दुश्वार था
ज़रूरतमंद भी खुद्दार था
जहाँ बिकने को थे बेताब सब
हमारे हर तरफ बाज़ार था
रियाया दे रही थी थैलियाँ
सियासत का अजब दरबार था
ज़रूरत पर पडोसी आ गए
ये उसका प्रेम था, व्यवहार था
मैं खुश था मुफ़लिसी में इसलिए
कि मेरे पक्ष में परिवार था