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"चलना / सुदर्शन प्रियदर्शिनी" के अवतरणों में अंतर
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पवन के -झोंके | पवन के -झोंके | ||
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चले - | चले - | ||
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उषा की | उषा की | ||
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पाहुणी- ज्योति | पाहुणी- ज्योति | ||
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चली .... | चली .... | ||
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हर मरुस्थल .... ! | हर मरुस्थल .... ! | ||
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12:25, 25 मार्च 2012 के समय का अवतरण
चलती हूँ
चलती रहूंगी
शायद -कहीं
भी न पहुचने
के लिए ...
क्या पहुंच
पाए कहीं
जो चलते रहे ?
हर चोराहे पर
स्टॉप साईन था
रुकना पड़ा ...
फिर भी
लाँघ कर
सब - कुछ
पवन के -झोंके
चले -
उषा की
पाहुणी- ज्योति
चली ....
और पहुंच गई
हर मरुस्थल .... !