भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"यादें-2 / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सुधा गुप्ता }} Category:हाइकु <poem> 23 स्मृ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 47: पंक्ति 47:
 
भोला शैशव ।
 
भोला शैशव ।
 
33
 
33
रात ढूँढ़ती
+
रात ढूँढती
 
चाँद में बैठी नानी
 
चाँद में बैठी नानी
 
काते थी चर्खा
 
काते थी चर्खा
पंक्ति 76: पंक्ति 76:
 
40
 
40
 
बरसों बाद
 
बरसों बाद
घघरू-सी छनकी
+
घुंघरू-सी छनकी
 
तुम्हारी याद ।
 
तुम्हारी याद ।
 
41
 
41

10:08, 6 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण


23
स्मृति बुनती
दु:खों के करघे में
पीड़ा का थान ।
24
सूखता कण्ठ
मधु स्मृतियाँ जैसे
दो घूँट पानी ।
25
पुरवा आई
फरफराए पत्ते
भीगी यादों के ।
26
किसकी याद
सिसक रही रात
हिचकियाँ ले ।
27
शैशव- स्मृति
कनक -चम्पा खिली
महका मन
28
थिरक रही
खुशनुमा यादों की
ये तितलियाँ ।
29
स्मृति खोलतीं
तहाकर सँजोए
थान के थान ।
30
खोया बसेरा
करते रतजगे
यादों के राही ।
31
किताबों दबे
 मिलते मोर-पंख
भोले विश्वास ।
32
जेबों में भरे
सीपियाँ, कौड़ी, कंचे
भोला शैशव ।
33
रात ढूँढती
चाँद में बैठी नानी
काते थी चर्खा
34
चैत की हवा
उड़ाए वन-गन्ध
भूली-सी स्मृति ।
35
कूकी कोयल
चीरा -सा लगा गई
टपका लहू ।
36
चिनार-वन
फिर से लगी आग
जी हुआ ख़ाक
37
पपीहा दिन
और चकवी रातें
काटे न कटें ।
38
देखा जो तारा
माँ की लौंग का हीरा
कौंध मारता ।
39
पूनो की रात
बटोर लाई किस्से
आँचल भर ।
40
बरसों बाद
घुंघरू-सी छनकी
तुम्हारी याद ।
41
गुड्डो की शादी
‘घर’ ‘घर’ का खेल
मिट्टी पक्वान्न
42
गुड्डो की चुन्नी
गोटा टँकवाने को
‘दी’ को मनाना ।
43
भटक गए
पौन सदी पुरानी
गली न लौटे ।
-0-