भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मायूसी / गाजिल मंगलू" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गाजिल मंगलू }} {{KKCatKavita}} <poem> खुद भी लाल क...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=गाजिल मंगलू | |रचनाकार=गाजिल मंगलू | ||
}} | }} | ||
− | {{KKCatKavita}} | + | {{KKCatKavita}}{{KKCatKavita}} |
+ | {{KKCatMauritiusRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
खुद भी लाल कफन ओढ़े हुए | खुद भी लाल कफन ओढ़े हुए | ||
वह देखो सूरज डूब रहा है | वह देखो सूरज डूब रहा है |
07:36, 7 जून 2012 के समय का अवतरण
खुद भी लाल कफन ओढ़े हुए
वह देखो सूरज डूब रहा है
घंटों पहले अरमानों का
दिया जलाने आया था
खून में उन अरमानों को
लुढ़काते हुए अब डूब रहा है।
कल यह सूरज फिर निकलेगा
कल भी उन अरमानों का
नाहक खून दोबारा होगा
खुद भी लाल कफन ओढ़े हुए
वह देखो सूरज डूब रहा है