भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चर्चा में / अरविन्द श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव  
 
|रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव  
|संग्रह=अफ़सोस के लिए कुछ शब्द / अरविन्द श्रीवास्तव; राजधानी में एक उज़बेक लड़की / अरविन्द श्रीवास्त्यव
+
|संग्रह=अफ़सोस के लिए कुछ शब्द / अरविन्द श्रीवास्तव; राजधानी में एक उज़बेक लड़की / अरविन्द श्रीवास्तव
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}

23:56, 14 जून 2012 के समय का अवतरण

वक़्त बूँदों के उत्सव का था
बूँदें इठला रही थीं
गा रही थीं बूँदें झूम-झूमकर
थिरक रहीं थीं
पूरे सवाब में

दरख्तों के पोर पोर को
छुआ बूँदों ने
माटी ने छक कर स्वाद चखा
बूँदों का

रात कहर बन आई थी बूँदें
सवेरे चर्चा में बारिश थी
बूँदें नहीं।