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आदरें अधिक काज नहि बंध। | आदरें अधिक काज नहि बंध। |
21:22, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
आदरें अधिक काज नहि बंध।
माधव बूझल तोहर अनुबंध।।
आसा राखह नयन पठाए।
कत खन कउसलें कपट नुकाए।।
चल चल माधव तोहें जे सयान।
ताके बोलिअ जे उचित न जान।।
कसिअ कसउटी चिन्हिअ हेम।
प्रकृति परेखिअ सुपुरुख पेम।।
सउरभें जानिअ कमल पराग।
नयने निवेदिअ नव अनुराग।।
भनइ विद्यापति नयनक लाज।
आदरें जानिअ आगिल काज।।