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"सात छेद वाली मैं (ताँका-संग्रह) / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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'[[सात छेद वाली मैं / सुधा गुप्ता|सात छेद वाली मैं ]]’ (2011) ताँका का स्वतन्त्र संग्रह है। डॉ. सुधा गुप्ता की चोका पुस्तक "[[ओक भर किरनें / सुधा गुप्ता|ओक भर किरनें]]" तथा ताँका पुस्तक '[[सात छेद वाली मैं / सुधा गुप्ता|सात छेद वाली मैं ]]’ का लोकार्पण ब्रैम्पटन लाइब्रेरी (कैनेडा) में किया गया। | '[[सात छेद वाली मैं / सुधा गुप्ता|सात छेद वाली मैं ]]’ (2011) ताँका का स्वतन्त्र संग्रह है। डॉ. सुधा गुप्ता की चोका पुस्तक "[[ओक भर किरनें / सुधा गुप्ता|ओक भर किरनें]]" तथा ताँका पुस्तक '[[सात छेद वाली मैं / सुधा गुप्ता|सात छेद वाली मैं ]]’ का लोकार्पण ब्रैम्पटन लाइब्रेरी (कैनेडा) में किया गया। | ||
+ | इसमें इनके 153 ताँका संगृहीत हैं । | ||
+ | पुस्तक को सात अध्यायों में बाँधा गया है -नीराजना,, बाँसुरी अष्टक,राधिका और कान्हा,प्रकृति और परी, शैशव और सपने,दु:ख मेरे अपने, सच से मुठभेड़ । | ||
+ | ‘प्रकृति -परी’ और ‘सच से मुठभेड़’ दोनों अध्याय बड़े हैं । | ||
+ | इनमें क्रमश 48 और 40 ताँका हैं । | ||
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09:06, 8 जुलाई 2012 का अवतरण
'सात छेद वाली मैं ’ (2011) ताँका का स्वतन्त्र संग्रह है। डॉ. सुधा गुप्ता की चोका पुस्तक "ओक भर किरनें" तथा ताँका पुस्तक 'सात छेद वाली मैं ’ का लोकार्पण ब्रैम्पटन लाइब्रेरी (कैनेडा) में किया गया।
इसमें इनके 153 ताँका संगृहीत हैं ।
पुस्तक को सात अध्यायों में बाँधा गया है -नीराजना,, बाँसुरी अष्टक,राधिका और कान्हा,प्रकृति और परी, शैशव और सपने,दु:ख मेरे अपने, सच से मुठभेड़ ।
‘प्रकृति -परी’ और ‘सच से मुठभेड़’ दोनों अध्याय बड़े हैं ।
इनमें क्रमश 48 और 40 ताँका हैं ।