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संगीत की बहती नदी हो | संगीत की बहती नदी हो |
08:07, 28 जुलाई 2012 का अवतरण
सप्ताह की कविता
शीर्षक : *नया वर्ष* रचनाकार: अनिल जनविजय
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(आज 28 जुलाई को आदरणीय श्री अनिल जनविजय जी का जन्मदिवस है उनके शतायु होने की कामना के साथ प्रस्तुत है उनकी कविता) नया वर्ष संगीत की बहती नदी हो गेहूँ की बाली दूध से भरी हो अमरूद की टहनी फूलों से लदी हो खेलते हुए बच्चों की किलकारी हो नया वर्ष नया वर्ष सुबह का उगता सूरज हो हर्षोल्लास में चहकता पाखी नन्हे बच्चों की पाठशाला हो निराला-नागार्जुन की कविता नया वर्ष चकनाचूर होता हिमखंड हो धरती पर जीवन अनंत हो रक्तस्नात भीषण दिनों के बाद हर कोंपल, हर कली पर छाया वसंत हो (रचनाकाल : 1995)