भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आएगा वह दिन / बोधिसत्व" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बोधिसत्व |संग्रह= }} आएगा वह दिन भी<br> जब हम एक ही चूल्हे स...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 +
 +
(आभा के लिए)
 +
 +
 
आएगा वह दिन भी<br>
 
आएगा वह दिन भी<br>
 
जब हम एक ही चूल्हे से<br>
 
जब हम एक ही चूल्हे से<br>

00:57, 25 अक्टूबर 2007 के समय का अवतरण

(आभा के लिए)


आएगा वह दिन भी
जब हम एक ही चूल्हे से
आग तापेंगे।

आएगा वह दिन भी
जब मेरा बुखार उतरता-चढ़ता रहेगा
और तुम छटपटाती रहोगी रात भर।

अभी यह पृथ्वी
हमारी तरह युवा है
अभी यह सूर्य महज तेईस-चौबीस साल का है
हमारी ही तरह
,

इकतीस दिसंबर की गुनगुनी धूप की तरह
देर-सबेर आएगा वह दिन भी
जब किलकारियों से भरा
हमारा घर होगा कहीं।