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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">नदी के दो किनारे</div>
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">एक तू ही नहीं है</div>
<div style="font-size:15px;"> योगदानकर्ता:[[मृदुल कीर्ति| मृदुल कीर्ति]] </div>
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<div style="font-size:15px;"> योगदानकर्ता:[[साहिर लुधियानवी| साहिर लुधियानवी]] </div>
 
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दो शरीर
+
हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी वहीं है,
परस्पर सलग
+
एक तू ही नहीं है
परस्पर विलग
+
 
आत्मीय आदान-प्रदान का सेतु बंध,
+
नज़रें भी वही और नज़ारे भी वही हैं
था ही नहीं
+
ख़ामोश फ़ज़ाओं के इशारे भी वही हैं
आकर्षण विकर्षण का प्रतिबिम्ब ,
+
कहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नहीं है
था ही नहीं ।
+
 
परस्पर प्रति,सहज समर्पण, स्नेहानुबंध
+
हर अश्क में खोई हुई ख़ुशियों की झलक है
था ही नहीं
+
हर साँस में बीती हुई घड़ियों की कसक है
नितांत असम्पृक्त एकाकी होकर भी ।
+
तू चाहे कहीं भी हो, तेरा दर्द यहीं है
हम निरंतर इस तरह साथ हैं,
+
 
जैसे धरती पर छाया आकाश ,
+
हसरत नहीं, अरमान नहीं, आस नहीं है
विराट नदी के दो अदृश्य किनारे,
+
यादों के सिवा कुछ भी मेरे पास नहीं है
परस्पर सलग ,
+
यादें भी रहें या न रहें किसको यक़ीं है
परस्पर विलग ।
+
  
 
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10:36, 17 अक्टूबर 2012 का अवतरण

Lotus-48x48.png
एक तू ही नहीं है
योगदानकर्ता: साहिर लुधियानवी
हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी वहीं है,
एक तू ही नहीं है

नज़रें भी वही और नज़ारे भी वही हैं
ख़ामोश फ़ज़ाओं के इशारे भी वही हैं
कहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नहीं है

हर अश्क में खोई हुई ख़ुशियों की झलक है
हर साँस में बीती हुई घड़ियों की कसक है
तू चाहे कहीं भी हो, तेरा दर्द यहीं है

हसरत नहीं, अरमान नहीं, आस नहीं है
यादों के सिवा कुछ भी मेरे पास नहीं है
यादें भी रहें या न रहें किसको यक़ीं है