"होली बृज में / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर
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बृजबाला और गुवाला नन्दलाल के लगे हैं संग, | बृजबाला और गुवाला नन्दलाल के लगे हैं संग, | ||
− | + | गड्वन में रंग घोल गेरत वह गोरी रे | | |
मारत पिचकारी तान-तान के कुंवर कान्ह, | मारत पिचकारी तान-तान के कुंवर कान्ह, | ||
मची धूम धाम नची अहीरों की छोरी रे | | मची धूम धाम नची अहीरों की छोरी रे | | ||
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होरी का आनंद नन्द, नन्दलाल द्वार-द्वार, | होरी का आनंद नन्द, नन्दलाल द्वार-द्वार, | ||
− | + | रंग की पिचकारी व गुलाल लाल-लाल है | | |
रसिया के रसिक कृष्ण, गाय़़ रहे बंसी में, | रसिया के रसिक कृष्ण, गाय़़ रहे बंसी में, | ||
− | + | सुन-सुन के दौड़-दौड़ आय गये गुवाल है | | |
गोपिन का झमेला, राधे पारत प्रेम हेला, | गोपिन का झमेला, राधे पारत प्रेम हेला, | ||
डारत रंग-रंग, गले प्रेम पुष्प माल है | | डारत रंग-रंग, गले प्रेम पुष्प माल है | | ||
कहता शिवदीन लाल, राधे कृष्ण गुवाल बाल, | कहता शिवदीन लाल, राधे कृष्ण गुवाल बाल, | ||
कर में गुलाल लाल, नांचत गोपाल है | | कर में गुलाल लाल, नांचत गोपाल है | | ||
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+ | कृष्ण श्याम श्यामा संग, देखो सखी होली रंग, | ||
+ | गुवाल बाल चंग बजा नांचत नांच गोरी रे | | ||
+ | मारत पिचकारी अरे भर-भर के रंग लाल, | ||
+ | लाल ही गुलाल लाल, लाल युगल जोरी रे | | ||
+ | होरी के दीवाना को, पकर-पकर कान्हा को, | ||
+ | नांच यूँ नाचावें, नांचे अहीरों की छोरी रे | | ||
+ | कहता शिवदीन राम आनन्द अपार आज, | ||
+ | आज वह तिंवार* सखी, सजो साज होरी रे | | ||
+ | *त्यौहार | ||
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22:36, 22 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण
बृजबाला और गुवाला नन्दलाल के लगे हैं संग,
गड्वन में रंग घोल गेरत वह गोरी रे |
मारत पिचकारी तान-तान के कुंवर कान्ह,
मची धूम धाम नची अहीरों की छोरी रे |
चंग पे धमाल गावे स्वर में स्वर मिला के सखी,
कहता शिवदीन धन्य, आज वही होरी रे |
झूम-झूम झूमे,श्यामा श्याम दोउ घूमें,
अनुपम रंग राचे कृष्ण नाचे यें किशोरी रे |
होरी का आनंद नन्द, नन्दलाल द्वार-द्वार,
रंग की पिचकारी व गुलाल लाल-लाल है |
रसिया के रसिक कृष्ण, गाय़़ रहे बंसी में,
सुन-सुन के दौड़-दौड़ आय गये गुवाल है |
गोपिन का झमेला, राधे पारत प्रेम हेला,
डारत रंग-रंग, गले प्रेम पुष्प माल है |
कहता शिवदीन लाल, राधे कृष्ण गुवाल बाल,
कर में गुलाल लाल, नांचत गोपाल है |
कृष्ण श्याम श्यामा संग, देखो सखी होली रंग,
गुवाल बाल चंग बजा नांचत नांच गोरी रे |
मारत पिचकारी अरे भर-भर के रंग लाल,
लाल ही गुलाल लाल, लाल युगल जोरी रे |
होरी के दीवाना को, पकर-पकर कान्हा को,
नांच यूँ नाचावें, नांचे अहीरों की छोरी रे |
कहता शिवदीन राम आनन्द अपार आज,
आज वह तिंवार* सखी, सजो साज होरी रे |
- त्यौहार