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− | <div style="font-size:15px; font-weight:bold"> | + | <div style="font-size:15px; font-weight:bold">बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!</div> |
− | <div style="font-size:15px;"> कवि:[[ | + | <div style="font-size:15px;"> कवि:[[सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"| सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]] </div> |
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</table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px"> | </table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px"> | ||
− | + | बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु! | |
− | + | पूछेगा सारा गाँव, बंधु! | |
− | + | यह घाट वही जिस पर हँसकर, | |
− | + | वह कभी नहाती थी धँसकर, | |
− | + | आँखें रह जाती थीं फँसकर, | |
+ | कँपते थे दोनों पाँव बंधु! | ||
− | + | वह हँसी बहुत कुछ कहती थी, | |
− | + | फिर भी अपने में रहती थी, | |
− | + | सबकी सुनती थी, सहती थी, | |
− | + | देती थी सबके दाँव, बंधु! | |
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