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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!</div>
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">आज करवा चौथ</div>
<div style="font-size:15px;"> कवि:[[सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"| सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]] </div>
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<div style="font-size:15px;"> कवि:[[जयकृष्ण राय तुषार| जयकृष्ण राय तुषार]] </div>
 
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बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
+
आज करवा चौथ
पूछेगा सारा गाँव, बंधु!
+
का दिन है
 +
आज हम तुमको सँवारेंगे ।
 +
देख लेना
 +
तुम गगन का चाँद
 +
मगर हम तुमको निहारेंगे ।
  
यह घाट वही जिस पर हँसकर,
+
पहनकर
वह कभी नहाती थी धँसकर,
+
काँजीवरम का सिल्क
आँखें रह जाती थीं फँसकर,
+
हाथ में मेंहदी रचा लेना,
कँपते थे दोनों पाँव बंधु!
+
अप्सराओं की
 +
तरह ये रूप
 +
आज फ़ुरसत में सजा लेना,
 +
धूल में
 +
लिपटे हुए ये पाँव
 +
आज नदियों में पखारेंगे ।
  
वह हँसी बहुत कुछ कहती थी,
+
हम तुम्हारा
फिर भी अपने में रहती थी,
+
साथ देंगे उम्रभर
सबकी सुनती थी, सहती थी,
+
हमें भी मझधार में मत छोड़ना,
देती थी सबके दाँव, बंधु!
+
आज चलनी में
 +
कनखियों देखना
 +
और फिर ये व्रत अनोखा तोड़ना,
 +
है भले
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पूजा तुम्हारी ये
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आरती हम भी उतारेंगे ।
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ये सुहागिन
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औरतों का व्रत
 +
निर्जला, पति की उमर की कामना
 +
थाल पूजा की
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सजा कर कर रहीं
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पार्वती शिव की सघन आराधना,
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आज इनके
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पुण्य के फल से
 +
हम मृत्यु से भी नहीं हारेंगे ।
  
 
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13:33, 1 नवम्बर 2012 का अवतरण

Lotus-48x48.png
आज करवा चौथ
आज करवा चौथ
का दिन है
आज हम तुमको सँवारेंगे ।
देख लेना
तुम गगन का चाँद
मगर हम तुमको निहारेंगे ।

पहनकर
काँजीवरम का सिल्क
हाथ में मेंहदी रचा लेना,
अप्सराओं की
तरह ये रूप
आज फ़ुरसत में सजा लेना,
धूल में
लिपटे हुए ये पाँव
आज नदियों में पखारेंगे ।

हम तुम्हारा
साथ देंगे उम्रभर
हमें भी मझधार में मत छोड़ना,
आज चलनी में
कनखियों देखना
और फिर ये व्रत अनोखा तोड़ना,
है भले
पूजा तुम्हारी ये
आरती हम भी उतारेंगे ।

ये सुहागिन
औरतों का व्रत
निर्जला, पति की उमर की कामना
थाल पूजा की
सजा कर कर रहीं
पार्वती शिव की सघन आराधना,
आज इनके
पुण्य के फल से
हम मृत्यु से भी नहीं हारेंगे ।