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"सम्पर्क टूटा नहीं... / लीना मल्होत्रा" के अवतरणों में अंतर

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एक दिन जब मै चली जाऊँगी
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  वो सब बातें अनकही रह गई हैं
तो घर के किन्हीं कोनो से निकलूँगी फ़ालतू सामान में
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जो मैं तुमसे और तुम मुझसे कहना चाहती थीं
बहुत समय से बंद पड़ी दराज़ों से निकलूँगी किसी डायरी  में लिखे हिसाब से
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हम भूल गए थे
मेरे किसी पहने हुए कपड़े में कभी अटकी पड़ी रहेगी मेरी ख़ुशबू
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जब आँखे बात करती हैं
जिसे मेरे बच्चे पहन के सो जाएँगे
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शब्द सहम कर खड़े रहते हैं
जब मुझे  पास बुलाना चाहेंगे
+
मै उनके सपनों में आऊँगी
+
उन्हें सहलाने और उनके प्रश्नों का उत्तर देने
+
  
मै बची रहूँगी शायद कुछ घटनाओं में
+
रात की छलनी  से छन के निकले थे जो पल
लोगों की स्मृतियों में उनके जीवित रहने तक
+
वे सब  मौन ही  थे
गाय की जुगाली में गिरती रहूँगी मैं
+
उन भटकी हुई दिशाओं में
जब
+
तुम्हारी मुस्कराहटो से भरी नज़रों ने जो चाँदनी की चादर बिछाई थी
वह उन रोटियों को हज़म कर रही होगी जो उसने मेरे हाथ से खाई थीं
+
अंजुरी भर-भर पी लिए थे नेत्रों ने लग्न-मन्त्र
बहुत दिन तक
+
याद है मुझे
उन आवारा कुत्तों की उदासी में गुम पड़ी रहूँगी मैं
+
और मेरी सीढ़ी  पर पसरे सन्नाटे में वे खोजेंगे मेरी उपस्थिति
+
  
मै मिलूँगी
+
अब भी मेरी सुबह जब ख़ुशगवार होती है
सड़क के अस्फुट स्पर्शो के खज़ाने में जब वह अपनी आहटों को जमा करने के लिए खोलेगी अपनी तिज़ोरी
+
मै जानता हूँ ये बेवज़ह नहीं
और
+
तुम अपनी जुदा राह पर
पेड़ की  उन जड़ों  में जिन्हें मैंने सींचा था
+
मुझे याद कर रही हो
उसके किसी रेशे की मुलायम याद में पड़ी मिलूँगी मै एक लम्बे अरसे तक
+
किसी बच्चे की मुस्कराहट में बजूँगी मंदिर की घंटी जैसी
+
बस बची रहूँगी मै प्रेम में
+
जो मैंने बाँटा था अपने होने से...
+
दिया था इस सृष्टि को...
+
तब ये सृष्टि देगी मुझे  
+
मेरे चुक जाने के बाद बचाए रखेगी मुझे...
+
 
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12:31, 8 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण

 वो सब बातें अनकही रह गई हैं
जो मैं तुमसे और तुम मुझसे कहना चाहती थीं
हम भूल गए थे
जब आँखे बात करती हैं
शब्द सहम कर खड़े रहते हैं

रात की छलनी से छन के निकले थे जो पल
वे सब मौन ही थे
उन भटकी हुई दिशाओं में
तुम्हारी मुस्कराहटो से भरी नज़रों ने जो चाँदनी की चादर बिछाई थी
अंजुरी भर-भर पी लिए थे नेत्रों ने लग्न-मन्त्र
याद है मुझे

अब भी मेरी सुबह जब ख़ुशगवार होती है
मै जानता हूँ ये बेवज़ह नहीं
तुम अपनी जुदा राह पर
मुझे याद कर रही हो