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एक नाव
लोगों का इन्तज़ार कर रही थी
और पक्षियों की कतारक़तार
आ रही थी पानी की खोज में
हम अपने चेहरे देखते थे हिलते हुए
उसके किनारे थे हमारे घर
हमेशा उफ़नतीउफनती
अपने तटों और पत्थरों को प्यार करती
उस नदी से शुरू होते थे दिन
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