"तमाशा / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर
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− | + | अब मैं आपको कोई कविता नहीं सुनाता<BR> | |
− | + | एक तमाशा दिखाता हूँ,<BR> | |
− | + | और आपके सामने एक मजमा लगाता हूँ।<BR> | |
− | + | ये तमाशा कविता से बहूत दूर है,<BR> | |
− | + | दिखाऊँ साब, मंजूर है?<BR><BR> | |
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− | + | कविता सुनने वालो<BR> | |
− | + | ये मत कहना कि कवि होकर<BR> | |
+ | मजमा लगा रहा है,<BR> | ||
+ | और कविता सुनाने के बजाय<BR> | ||
+ | यों ही बहला रहा है।<BR> | ||
+ | दरअसल, एक तो पापी पेट का सवाल है<BR> | ||
+ | और दूसरे, देश का दोस्तो ये हाल है<BR> | ||
+ | कि कवि अब फिर से एक बार<BR> | ||
+ | मजमा लगाने को मजबूर है,<BR> | ||
+ | तो दिखाऊँ साब, मंजूर है?<BR> | ||
+ | बोलिए जनाब बोलिए हुजूर!<BR> | ||
+ | तमाशा देखना मंजूर?<BR> | ||
+ | थैंक्यू, धन्यवाद, शुक्रिया,<BR> | ||
+ | आपने 'हाँ' कही बहुत अच्छा किया।<BR> | ||
+ | आप अच्छे लोग हैं बहुत अच्छे श्रोता हैं<BR> | ||
+ | और बाइ-द-वे तमाशबीन भी खूब हैं,<BR> | ||
+ | देखिए मेरे हाथ में ये तीन टैस्ट-ट्यूब हैं।<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | कहाँ हैं?<BR> | ||
+ | ग़ौर से देखिए ध्यान से देखिए,<BR> | ||
+ | मन की आँखों से कल्पना की पाँखों से देखिए।<BR> | ||
+ | देखिए यहाँ हैं।<BR> | ||
+ | क्या कहा, उँगलियाँ हैं?<BR> | ||
+ | नहीं - नहीं टैस्ट-ट्यूब हैं<BR> | ||
+ | इन्हें उँगलियाँ मत कहिए,<BR> | ||
+ | तमाशा देखते वक्त दरियादिल रहिए।<BR> | ||
+ | आप मेरे श्रोता हैं, रहनुमा हैं, सुहाग हैं<BR> | ||
+ | मेरे महबूब हैं,<BR> | ||
+ | अब बताइए ये क्या हैं?<BR> | ||
+ | तीन टैस्ट-ट्यूब हैं।<BR> | ||
+ | वैरी गुड, थैंक्यू, धन्यवाद, शुक्रिया,<BR> | ||
+ | आपने उँगलियों को टैस्ट-ट्यूब बताया<BR> | ||
+ | बहुत अच्छा किया<BR> | ||
+ | अब बताइए इनमें क्या है?<BR> | ||
+ | बताइए-बताइए इनमें क्या है?<BR> | ||
+ | अरे, आपको क्या हो गया है?<BR> | ||
+ | टैस्ट-ट्यूब दिखती है<BR> | ||
+ | अंदर का माल नहीं दिखता है,<BR> | ||
+ | आपके भोलेपन में भी अधिकता है।<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | ख़ैर छोड़िए<BR> | ||
+ | ए भाईसाहब!<BR> | ||
+ | अपना ध्यान इधर मोड़िए।<BR> | ||
+ | चलिए, मुद्दे पर आता हूँ,<BR> | ||
+ | मैं ही बताता हूँ, इनमें खून है!<BR> | ||
+ | हाँ भाईसाहब, हाँ बिरादर,<BR> | ||
+ | हाँ माई बाप हाँ गॉड फादर! इनमें खून हैं।<BR> | ||
+ | पहले में हिंदू का<BR> | ||
+ | दूसरे में मुसलमान का<BR> | ||
+ | तीसरे में सिख का खून है,<BR> | ||
+ | हिंदू मुसलमान में तो आजकल<BR> | ||
+ | बड़ा ही जुनून हैं।<BR> | ||
+ | आप में से जो भी इनका फ़र्क बताएगा<BR> | ||
+ | मेरा आज का पारिश्रमिक ले जाएगा।<BR> | ||
+ | हर किसी को बोलने की आज़ादी है,<BR> | ||
+ | खरा खेल, फ़र्क बताएगा<BR> | ||
+ | न जालसाज़ी है न धोखा है,<BR> | ||
+ | ले जाइए पूरा पैसा ले जाइए जनाब, मौका है।<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | फ़र्क बताइए,<BR> | ||
+ | तीनों में अंतर क्या है अपना तर्क बताइए<BR> | ||
+ | और एक कवि का पारिश्रमिक ले जाइए।<BR> | ||
+ | आप बताइए नीली कमीज़ वाले साब,<BR> | ||
+ | सफ़ेद कुर्ते वाले जनाब।<BR> | ||
+ | आप बताइए? जिनकी इतनी बड़ी दाढ़ी है।<BR> | ||
+ | आप बताइए बहन जी<BR> | ||
+ | जिनकी पीली साड़ी है।<BR> | ||
+ | संचालक जी आप बताइए<BR> | ||
+ | आपके भरोसे हमारी गाड़ी है।<BR> | ||
+ | इनके मुँह पर नहीं पेट में दाढ़ी है।<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | ओ श्रीमान जी, आपका ध्यान किधर है,<BR> | ||
+ | इधर देखिए तमाशे वाला तो इधर है।<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | हाँ, तो दोस्तो!<BR> | ||
+ | फ़र्क है, ज़रूर इनमें फ़र्क है,<BR> | ||
+ | तभी तो समाज का बेड़ागर्क है।<BR> | ||
+ | रगों में शांत नहीं रहता है,<BR> | ||
+ | उबलता है, धधकता है, फूट पड़ता है<BR> | ||
+ | सड़कों पर बहता है।<BR> | ||
+ | फ़र्क नहीं होता तो दंगे-फ़साद नहीं होते,<BR> | ||
+ | फ़र्क नहीं होता तो खून-ख़राबों के बाद<BR> | ||
+ | लोग नहीं रोते।<BR> | ||
+ | अंतर नहीं होता तो ग़र्म हवाएँ नहीं होतीं,<BR> | ||
+ | अंतर नहीं होता तो अचानक विधवाएँ नहीं होतीं।<BR><BR> | ||
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+ | देश में चारों तरफ़<BR> | ||
+ | हत्याओं का मानसून है,<BR> | ||
+ | ओलों की जगह हड्डियाँ हैं<BR> | ||
+ | पानी की जगह खून है।<BR> | ||
+ | फ़साद करने वाले ही बताएँ<BR> | ||
+ | अगर उनमें थोड़ी-सी हया है,<BR> | ||
+ | क्या उन्हें साँप सूँघ गया है?<BR><BR> | ||
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+ | और ये तो मैंने आपको<BR> | ||
+ | पहले ही बता दिया<BR> | ||
+ | कि पहली में हिंदू का<BR> | ||
+ | दूसरी में मुसलमान का<BR> | ||
+ | तीसरी में सिख का खून है।<BR> | ||
+ | अगर उल्टा बता देता तो कैसे पता लगाते,<BR> | ||
+ | कौन-सा किसका है, कैसे बताते?<BR><BR> | ||
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+ | और दोस्तो, डर मत जाना<BR> | ||
+ | अगर डरा दूँ, मान लो मैं इन्हें<BR> | ||
+ | किसी मंदिर, मस्जिद<BR> | ||
+ | या गुरुद्वारे के सामने गिरा दूँ,<BR> | ||
+ | तो है कोई माई का लाल<BR> | ||
+ | जो फ़र्क बता दे,<BR> | ||
+ | है कोई पंडित, है कोई मुल्ला, है कोई ग्रंथी<BR> | ||
+ | जो ग्रंथियाँ सुलझा दे?<BR> | ||
+ | फ़र्श पर बिखरा पड़ा है, पहचान बताइए,<BR> | ||
+ | कौन मलखान, कौन सिंह, कौन खान बताइए।<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | अभी फोरेन्सिक विभाग वाले आएँगे,<BR> | ||
+ | जमे हुए खून को नाखून से हटाएँगे।<BR> | ||
+ | नमूने ले जाएँगे<BR> | ||
+ | इसका ग्रुप 'ओ', इसका 'बी'<BR> | ||
+ | और उसका 'बी प्लस' बताएँगे।<BR> | ||
+ | लेकिन ये बताना<BR> | ||
+ | क्या उनके बस का है,<BR> | ||
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+ | कौम की पहचान बताने वाला<BR> | ||
+ | जाति की पहचान बताने वाला<BR> | ||
+ | कोई माइक्रोस्कोप है? वे नहीं बता सकते<BR> | ||
+ | लेकिन मुझे तो आप से होप है।<BR> | ||
+ | बताइए, बताइए, और एक कवि का<BR> | ||
+ | पारिश्रमिक ले जाइए।<BR><BR> | ||
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+ | अब मैं इन परखनलियों कोv | ||
+ | स्टोव पर रखता हूँ, उबाल आएगा,<BR> | ||
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+ | |||
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+ | किसी का खून सूखता है, किसी का जलता है<BR> | ||
+ | किसी का खून थम जाता है,<BR> | ||
+ | किसी का खून जम जाता है।<BR> | ||
+ | अगर ये टेस्ट-ट्यूब फ्रिज में रखूँ खून जम जाएगा,<BR> | ||
+ | सींक डालकर निकालूँ तो आइस्क्रीम का मज़ा आएगा।<BR> | ||
+ | आप खाएँगे ये आइस्क्रीम<BR> | ||
+ | आप खाएँगे,<BR> | ||
+ | आप खाएँगी बहन जी<BR> | ||
+ | भाईसाहब आप खाएँगे?<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | मुझे मालूम है कि आप नहीं खा सकते<BR> | ||
+ | क्योंकि इंसान हैं,<BR> | ||
+ | लेकिन हमारे मुल्क में कुछ हैवान हैं।<BR> | ||
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+ | जिनके बस खून के ही धंधे हैं।<BR> | ||
+ | मजहब के नाम पे, धर्म के नाम पे<BR> | ||
+ | वो खाते हैं ये आइस्क्रीम मज़े से खाते हैं,<BR> | ||
+ | भाईसाहब बड़े मज़े से खाते हैं,<BR> | ||
+ | और अपनी हविस के लिए<BR> | ||
+ | आदमी-से-आदमी को लड़ाते हैं।<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | इन्हें मासूम बच्चों पर तरस नहीं आता हैं,<BR> | ||
+ | इन्हें मीठी लोरियों का सुर नहीं भाता है।<BR> | ||
+ | माँग के सिंदूर से इन्हें कोई मतलब नहीं<BR> | ||
+ | कलाई की चूड़ियों से इनका नहीं नाता है।<BR> | ||
+ | इन्हें मासूम बच्चों पर तरस नहीं आता हैं।<BR> | ||
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+ | और सबका विधाता है,<BR> | ||
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+ | मंदिर के आगे बच्चों के बस्ते<BR> | ||
+ | गली-गली में बम और गोले<BR> | ||
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+ | तो क्यों अलग विधेयक है?<BR> | ||
+ | क्यों अलग कानून है?<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | ख़ैर छोड़िए आप तो खून का फ़र्क बताइए,<BR> | ||
+ | अंतर क्या है अपना तर्क बताइए।<BR> | ||
+ | क्या पहला पीला, दूसरा हरा, तीसरा नीला है?<BR> | ||
+ | जिससे पूछो यही कहता है<BR> | ||
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+ | |||
+ | और यही इस तमाशे की टेक हैं,<BR> | ||
+ | कि रंगों में रहता हो या सड़कों पर बहता हो<BR> | ||
+ | लहू का रंग एक है।<BR> | ||
+ | फ़र्क सिर्फ़ इतना है<BR> | ||
+ | कि अलग-अलग टैस्ट-ट्यूब में हैं,<BR> | ||
+ | अंतर खून में नहीं है, मज़हबी मंसूबों में हैं।<BR><BR> | ||
+ | |||
+ | मज़हब जात, बिरादरी<BR> | ||
+ | और खानदान भूल जाएँ<BR> | ||
+ | खूनदान पहचानें कि किस खूनदान के हैं,<BR> | ||
+ | इंसान के हैं कि हैवान के हैं?<BR> | ||
+ | और इस तमाशे वाले की<BR> | ||
+ | अंतिम इच्छा यही है कि<BR> | ||
+ | खून सड़कों पर न बहे,<BR> | ||
+ | वह तो धमनियों में दौड़े<BR> | ||
+ | और रगों में रहे।<BR> | ||
+ | खून सड़कों पर न बहे<BR> | ||
+ | खून सड़कों पर न बहे<BR> | ||
+ | खून सड़कों पर न बहे।<BR> |
21:15, 15 नवम्बर 2007 का अवतरण
अब मैं आपको कोई कविता नहीं सुनाता
एक तमाशा दिखाता हूँ,
और आपके सामने एक मजमा लगाता हूँ।
ये तमाशा कविता से बहूत दूर है,
दिखाऊँ साब, मंजूर है?
कविता सुनने वालो
ये मत कहना कि कवि होकर
मजमा लगा रहा है,
और कविता सुनाने के बजाय
यों ही बहला रहा है।
दरअसल, एक तो पापी पेट का सवाल है
और दूसरे, देश का दोस्तो ये हाल है
कि कवि अब फिर से एक बार
मजमा लगाने को मजबूर है,
तो दिखाऊँ साब, मंजूर है?
बोलिए जनाब बोलिए हुजूर!
तमाशा देखना मंजूर?
थैंक्यू, धन्यवाद, शुक्रिया,
आपने 'हाँ' कही बहुत अच्छा किया।
आप अच्छे लोग हैं बहुत अच्छे श्रोता हैं
और बाइ-द-वे तमाशबीन भी खूब हैं,
देखिए मेरे हाथ में ये तीन टैस्ट-ट्यूब हैं।
कहाँ हैं?
ग़ौर से देखिए ध्यान से देखिए,
मन की आँखों से कल्पना की पाँखों से देखिए।
देखिए यहाँ हैं।
क्या कहा, उँगलियाँ हैं?
नहीं - नहीं टैस्ट-ट्यूब हैं
इन्हें उँगलियाँ मत कहिए,
तमाशा देखते वक्त दरियादिल रहिए।
आप मेरे श्रोता हैं, रहनुमा हैं, सुहाग हैं
मेरे महबूब हैं,
अब बताइए ये क्या हैं?
तीन टैस्ट-ट्यूब हैं।
वैरी गुड, थैंक्यू, धन्यवाद, शुक्रिया,
आपने उँगलियों को टैस्ट-ट्यूब बताया
बहुत अच्छा किया
अब बताइए इनमें क्या है?
बताइए-बताइए इनमें क्या है?
अरे, आपको क्या हो गया है?
टैस्ट-ट्यूब दिखती है
अंदर का माल नहीं दिखता है,
आपके भोलेपन में भी अधिकता है।
ख़ैर छोड़िए
ए भाईसाहब!
अपना ध्यान इधर मोड़िए।
चलिए, मुद्दे पर आता हूँ,
मैं ही बताता हूँ, इनमें खून है!
हाँ भाईसाहब, हाँ बिरादर,
हाँ माई बाप हाँ गॉड फादर! इनमें खून हैं।
पहले में हिंदू का
दूसरे में मुसलमान का
तीसरे में सिख का खून है,
हिंदू मुसलमान में तो आजकल
बड़ा ही जुनून हैं।
आप में से जो भी इनका फ़र्क बताएगा
मेरा आज का पारिश्रमिक ले जाएगा।
हर किसी को बोलने की आज़ादी है,
खरा खेल, फ़र्क बताएगा
न जालसाज़ी है न धोखा है,
ले जाइए पूरा पैसा ले जाइए जनाब, मौका है।
फ़र्क बताइए,
तीनों में अंतर क्या है अपना तर्क बताइए
और एक कवि का पारिश्रमिक ले जाइए।
आप बताइए नीली कमीज़ वाले साब,
सफ़ेद कुर्ते वाले जनाब।
आप बताइए? जिनकी इतनी बड़ी दाढ़ी है।
आप बताइए बहन जी
जिनकी पीली साड़ी है।
संचालक जी आप बताइए
आपके भरोसे हमारी गाड़ी है।
इनके मुँह पर नहीं पेट में दाढ़ी है।
ओ श्रीमान जी, आपका ध्यान किधर है,
इधर देखिए तमाशे वाला तो इधर है।
हाँ, तो दोस्तो!
फ़र्क है, ज़रूर इनमें फ़र्क है,
तभी तो समाज का बेड़ागर्क है।
रगों में शांत नहीं रहता है,
उबलता है, धधकता है, फूट पड़ता है
सड़कों पर बहता है।
फ़र्क नहीं होता तो दंगे-फ़साद नहीं होते,
फ़र्क नहीं होता तो खून-ख़राबों के बाद
लोग नहीं रोते।
अंतर नहीं होता तो ग़र्म हवाएँ नहीं होतीं,
अंतर नहीं होता तो अचानक विधवाएँ नहीं होतीं।
देश में चारों तरफ़
हत्याओं का मानसून है,
ओलों की जगह हड्डियाँ हैं
पानी की जगह खून है।
फ़साद करने वाले ही बताएँ
अगर उनमें थोड़ी-सी हया है,
क्या उन्हें साँप सूँघ गया है?
और ये तो मैंने आपको
पहले ही बता दिया
कि पहली में हिंदू का
दूसरी में मुसलमान का
तीसरी में सिख का खून है।
अगर उल्टा बता देता तो कैसे पता लगाते,
कौन-सा किसका है, कैसे बताते?
और दोस्तो, डर मत जाना
अगर डरा दूँ, मान लो मैं इन्हें
किसी मंदिर, मस्जिद
या गुरुद्वारे के सामने गिरा दूँ,
तो है कोई माई का लाल
जो फ़र्क बता दे,
है कोई पंडित, है कोई मुल्ला, है कोई ग्रंथी
जो ग्रंथियाँ सुलझा दे?
फ़र्श पर बिखरा पड़ा है, पहचान बताइए,
कौन मलखान, कौन सिंह, कौन खान बताइए।
अभी फोरेन्सिक विभाग वाले आएँगे,
जमे हुए खून को नाखून से हटाएँगे।
नमूने ले जाएँगे
इसका ग्रुप 'ओ', इसका 'बी'
और उसका 'बी प्लस' बताएँगे।
लेकिन ये बताना
क्या उनके बस का है,
कि कौन-सा खून किसका है?
कौम की पहचान बताने वाला
जाति की पहचान बताने वाला
कोई माइक्रोस्कोप है? वे नहीं बता सकते
लेकिन मुझे तो आप से होप है।
बताइए, बताइए, और एक कवि का
पारिश्रमिक ले जाइए।
अब मैं इन परखनलियों कोv
स्टोव पर रखता हूँ, उबाल आएगा,
खून खौलेगा, बबाल आएगा।
हाँ, भाईजान
नीचे से गर्मी दो न तो खून खौलता है
किसी का खून सूखता है, किसी का जलता है
किसी का खून थम जाता है,
किसी का खून जम जाता है।
अगर ये टेस्ट-ट्यूब फ्रिज में रखूँ खून जम जाएगा,
सींक डालकर निकालूँ तो आइस्क्रीम का मज़ा आएगा।
आप खाएँगे ये आइस्क्रीम
आप खाएँगे,
आप खाएँगी बहन जी
भाईसाहब आप खाएँगे?
मुझे मालूम है कि आप नहीं खा सकते
क्योंकि इंसान हैं,
लेकिन हमारे मुल्क में कुछ हैवान हैं।
कुछ दरिंदे हैं,
जिनके बस खून के ही धंधे हैं।
मजहब के नाम पे, धर्म के नाम पे
वो खाते हैं ये आइस्क्रीम मज़े से खाते हैं,
भाईसाहब बड़े मज़े से खाते हैं,
और अपनी हविस के लिए
आदमी-से-आदमी को लड़ाते हैं।
इन्हें मासूम बच्चों पर तरस नहीं आता हैं,
इन्हें मीठी लोरियों का सुर नहीं भाता है।
माँग के सिंदूर से इन्हें कोई मतलब नहीं
कलाई की चूड़ियों से इनका नहीं नाता है।
इन्हें मासूम बच्चों पर तरस नहीं आता हैं।
अरे गुरु सबका, गॉड सबका, खुदा सबका
और सबका विधाता है,
लेकिन इन्हें तो अलगाव ही सुहाता है,
इन्हें मासूम बच्चों पर
तरस नहीं आता है।
मस्जिद के आगे टूटी हुई चप्पलें
मंदिर के आगे बच्चों के बस्ते
गली-गली में बम और गोले
कोई इन्हें क्या बोले,
इनके सामने शासन भी सिर झुकाता है,
इन्हें मासूम बच्चों पर तरस नहीं आता है।
हाँ तो भाईसाहब!
कोई धोती पहनता है, कोई पायजामा
किसी के पास पतलून है,
लेकिन हर किसी के अंदर वही खून है।
साड़ी में माँ जी, सलवार में बहन जी
बुर्के में खातून हैं,
सबके अंदर वही खून है,
तो क्यों अलग विधेयक है?
क्यों अलग कानून है?
ख़ैर छोड़िए आप तो खून का फ़र्क बताइए,
अंतर क्या है अपना तर्क बताइए।
क्या पहला पीला, दूसरा हरा, तीसरा नीला है?
जिससे पूछो यही कहता है
कि सबके अंदर वही लाल रंग बहता है।
और यही इस तमाशे की टेक हैं,
कि रंगों में रहता हो या सड़कों पर बहता हो
लहू का रंग एक है।
फ़र्क सिर्फ़ इतना है
कि अलग-अलग टैस्ट-ट्यूब में हैं,
अंतर खून में नहीं है, मज़हबी मंसूबों में हैं।
मज़हब जात, बिरादरी
और खानदान भूल जाएँ
खूनदान पहचानें कि किस खूनदान के हैं,
इंसान के हैं कि हैवान के हैं?
और इस तमाशे वाले की
अंतिम इच्छा यही है कि
खून सड़कों पर न बहे,
वह तो धमनियों में दौड़े
और रगों में रहे।
खून सड़कों पर न बहे
खून सड़कों पर न बहे
खून सड़कों पर न बहे।