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"अहुरिया / धूमकेतु" के अवतरणों में अंतर

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करेजक धुकधुकीक संग ई आबि गेली
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गुन पर गुन....
आ धरती पर अबैत देरी आँगुर पकड़ा देलैन
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गीरह पर गीरह.....
तहियासँ अहर्निश जा रहल छी डेगाडेगी
+
छुच्छ, नग्न आ असल रूपमे की छी
ठण्डा, हिम-शीतल मरण-बाट बाटे
+
जकरा ‘हम’ कहै छिऐ ?
आत्महत्याक प्रक्रिया निमाहि रहल छी
+
जे छी सरिपों से छी निश्चित नहि छी
(जकरा जीवन कहैत छैक)
+
केहन क्रूर वीभत्स भयानक धोखा भेल अछि
जीबि रहल छी।
+
आलोकक स्पर्श मात्रसँ सभटा प्रतिमा बिला गेल अछि
 
+
विकराल बोध केर धूमकेतु
दूध पिआ क’ माइ अन्न चिखा क’ बाप
+
शत-सहस्त्र ध’-ध’ धधकैत मरकाठी लेने
पोथी धोरवा क’ गुरू शोणित चटा क’ स्त्री
+
चिता-पंुज के खोरि-खोरि क’ ताकि रहल छथि
प्रीतसँ मीत आ रीतिसँ समाज
+
शेष बचल की ?
आ संजीवनीक हेतु अपस्याँत मृत्युंजय
+
गीरह पर गीरह पर गीरह....छिटकि गेलैक अछि
घूलल हरिड़ा जामुन सनक बम भरभरा क’
+
गुन पर गुन पर गुन पर गुन.....सभ उघरि गेलैक अछि
सामूहिक मरण यज्ञमे सभ सक्रिय छथि
+
तहेतह खरकट्टल सभटा ओदरि गेलैक अछि
मौगीमे-मुद्रामे-मदिरामे अपनाकें तकैत छथि।
+
जाति-वंश माय-बाप आ भाई-बहिन केर
 
+
बाध-बोन टोल-पड़ोसक
हमरा भय नहि होइत अछि
+
ईर्ष्या-द्वेषक हर्ष-शोककर
हमहीं ओकरा होइत छिऐ माने
+
हीत-मीत आ प्रीति-रीति केर
क्षितिजक पलक-कोर पर जेना
+
आतप-वर्षा-शीत-बसन्तक
खत्तामे डबरिआएल शोणित सनक
+
बान्हल सक्कत जनम-गेठ सभ छिटकि गेलैक अछि
सूर्यक थम्हा देखने हेबै
+
सत्यवान केर श्वेत प्राण-कण
तहिना हमर, आँखि क्षितिज धरि विस्फारित भ’ गेल अछि
+
यमक फाँससँ छहलि गेलैक अछि
आ भूगोलक डगमग डिम्हासे भरल,
+
अगुणित छिड़िआएल अस्तित्वक कोनो दोगमे
सुसुम निर्मल रक्त पाराबारमे स्वयंभू (हम)
+
तहेतह सिसोहल जा क’ शेष बँचल की ?
मकारादिमे अपनाकें तकैत छी
+
शून्यमे फाड़ल अनाकृत चीछ ??
आत्महत्याक प्रक्रिया (जकरा जीवन कहैत छैक)
+
आकि अनशून्य उद्धिजहीन, उत्तुंग हिम-गिरी-कन्दरामे
निमाहि रहल छी।
+
औनाइत मूक हाक्रोश ???
 
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07:55, 4 जून 2013 के समय का अवतरण

 
गुन पर गुन....
गीरह पर गीरह.....
छुच्छ, नग्न आ असल रूपमे की छी
जकरा ‘हम’ कहै छिऐ ?
जे छी सरिपों से छी निश्चित नहि छी
केहन क्रूर वीभत्स भयानक धोखा भेल अछि
आलोकक स्पर्श मात्रसँ सभटा प्रतिमा बिला गेल अछि
विकराल बोध केर धूमकेतु
शत-सहस्त्र ध’-ध’ धधकैत मरकाठी लेने
चिता-पंुज के खोरि-खोरि क’ ताकि रहल छथि
शेष बचल की ?
गीरह पर गीरह पर गीरह....छिटकि गेलैक अछि
गुन पर गुन पर गुन पर गुन.....सभ उघरि गेलैक अछि
तहेतह खरकट्टल सभटा ओदरि गेलैक अछि
जाति-वंश आ माय-बाप आ भाई-बहिन केर
बाध-बोन आ टोल-पड़ोसक
ईर्ष्या-द्वेषक हर्ष-शोककर
हीत-मीत आ प्रीति-रीति केर
आतप-वर्षा-शीत-बसन्तक
बान्हल सक्कत जनम-गेठ सभ छिटकि गेलैक अछि
सत्यवान केर श्वेत प्राण-कण
यमक फाँससँ छहलि गेलैक अछि
अगुणित छिड़िआएल अस्तित्वक कोनो दोगमे
तहेतह सिसोहल जा क’ शेष बँचल की ?
शून्यमे फाड़ल अनाकृत चीछ ??
आकि अनशून्य उद्धिजहीन, उत्तुंग हिम-गिरी-कन्दरामे
औनाइत मूक हाक्रोश ???