'''बस्ता'''
बस्ते में बच्चे रख रहे हैं<br>ताज़ा उगी सुबह की धूप का टुकड़ा<br>जैसे वे अपनी किताबों को <br> किसी अदृश्य ऍंधेरे से बचाना चाहते हैं<br>वैसे, किताबों के बारे में<br>सबसे ज्यादा जानकारी है बस्ते के पास<br>उसे ही पता है किताबों में छपे हर अक्षर का <br> सही-सही वजन<br>बस्ता सबसे ज्यादा नजदीक होता है<br>किताबों की गम्भीर ऊष्मा के<br>वही पहचानता है ठीक-ठीक<br>पीठ के पसीने और बांसी कागज़ की <br> मिली-जुली विशिष्ट गन्ध<br>उसी ने सबसे ज्यादा बचाया है साहित्य को<br>गीला कर देने वाली बारिश और तेज धूप से<br>तुलसी, शेक्सपियर और मिल्टन को लगभग एक साथ<br>बस्ते को ही सबसे अधिक चिंता है<br>नाजुक पीठ और मासूम दिमाग पर पड़ रहे बोझ की<br>
हम यहाँ बैठे इतने जटिल रूपक तलाश रहे हैं<br>उधर बहुत खुश है बस्ता<br>बच्चे उसके अन्दर रंगीन पत्थर, कंचे <br> और काग़ज़ के हवाई जहाज रख रहे हैं<br>
वे उसे एक संग्रहालय बनाने की कोशिश में हैं।