भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रयाण-गीत / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | |रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | न हाथ एक शस्त्र हो न साथ एक अस्त्र हो | + | <poem> |
− | न अन्न नीर वस्त्र हो, | + | न हाथ एक शस्त्र हो न साथ एक अस्त्र हो |
+ | न अन्न नीर वस्त्र हो, | ||
हटो नहीं, डटो वहीं, बढे चलो बढे चलो । | हटो नहीं, डटो वहीं, बढे चलो बढे चलो । | ||
− | रहे समक्ष हिम शिखर, तुम्हारा पर्ण उठे निखर | + | रहे समक्ष हिम शिखर, तुम्हारा पर्ण उठे निखर |
− | भले ही जाय तन बिखर, | + | भले ही जाय तन बिखर, |
रुको नहीं, झुको नहीं, बढे चलो बढे चलो । | रुको नहीं, झुको नहीं, बढे चलो बढे चलो । | ||
− | घटा घिरी अटूट हो अधर में कालकुट हो | + | घटा घिरी अटूट हो अधर में कालकुट हो |
− | वही अमृत का घूंट हो | + | वही अमृत का घूंट हो |
जिये चलो मरे चलो, बढे चलो बढे चलो । | जिये चलो मरे चलो, बढे चलो बढे चलो । | ||
− | गगन उगलता आग हो, छिड़ा मरण का राग हो, | + | गगन उगलता आग हो, छिड़ा मरण का राग हो, |
− | लहू का अपने फ़ाग हो | + | लहू का अपने फ़ाग हो |
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढे चलो बढे चलो । | अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढे चलो बढे चलो । | ||
− | चलो नई मिसाल हो, जलो नई मशाल हो, | + | चलो नई मिसाल हो, जलो नई मशाल हो, |
− | पढो नया कमाल हो | + | पढो नया कमाल हो |
रुको नहीं, झुको नहीं, बढे चलो बढे चलो । | रुको नहीं, झुको नहीं, बढे चलो बढे चलो । | ||
− | अशेष रक्त तोल दो, स्वतंत्रता का मोल दो, | + | अशेष रक्त तोल दो, स्वतंत्रता का मोल दो, |
− | कडी युगों की खोल दो, | + | कडी युगों की खोल दो, |
डरो नहीं, मरो वहीं, बढे चलो बढे चलो ।। | डरो नहीं, मरो वहीं, बढे चलो बढे चलो ।। | ||
+ | </poem> |
09:59, 17 अक्टूबर 2009 का अवतरण
न हाथ एक शस्त्र हो न साथ एक अस्त्र हो
न अन्न नीर वस्त्र हो,
हटो नहीं, डटो वहीं, बढे चलो बढे चलो ।
रहे समक्ष हिम शिखर, तुम्हारा पर्ण उठे निखर
भले ही जाय तन बिखर,
रुको नहीं, झुको नहीं, बढे चलो बढे चलो ।
घटा घिरी अटूट हो अधर में कालकुट हो
वही अमृत का घूंट हो
जिये चलो मरे चलो, बढे चलो बढे चलो ।
गगन उगलता आग हो, छिड़ा मरण का राग हो,
लहू का अपने फ़ाग हो
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढे चलो बढे चलो ।
चलो नई मिसाल हो, जलो नई मशाल हो,
पढो नया कमाल हो
रुको नहीं, झुको नहीं, बढे चलो बढे चलो ।
अशेष रक्त तोल दो, स्वतंत्रता का मोल दो,
कडी युगों की खोल दो,
डरो नहीं, मरो वहीं, बढे चलो बढे चलो ।।