"नदी और पुल / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर
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पुल का एक हिस्सा अतीत में है | पुल का एक हिस्सा अतीत में है | ||
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तो दूसरा वर्तमान में | तो दूसरा वर्तमान में | ||
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और तीसरा भविष्य में | और तीसरा भविष्य में | ||
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नदी भी डूबी है जितनी अतीत में | नदी भी डूबी है जितनी अतीत में | ||
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उतनी ही वर्तमान में | उतनी ही वर्तमान में | ||
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पर उससे भी कहीं ज्यादा डूबी भविष्य में पुल की तरह | पर उससे भी कहीं ज्यादा डूबी भविष्य में पुल की तरह | ||
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समय की तलवार | समय की तलवार | ||
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दोनों के जिस्मों को काटती है | दोनों के जिस्मों को काटती है | ||
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एक ही तरीके से | एक ही तरीके से | ||
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पुल ने इतिहास को बनते हुए देखा है | पुल ने इतिहास को बनते हुए देखा है | ||
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नदी ने भी देखा है इतिहास को बनते हुए | नदी ने भी देखा है इतिहास को बनते हुए | ||
− | + | लेकिन अब इतिहास ने दोनों को काफ़ी बदल दिया है | |
− | लेकिन अब इतिहास ने दोनों को | + | |
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इस बदले हुए इतिहास को | इस बदले हुए इतिहास को | ||
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गहरी पीड़ा के साथ रेत और पत्थरों ने देखा है | गहरी पीड़ा के साथ रेत और पत्थरों ने देखा है | ||
− | + | '''3.''' | |
पुल का अपना इतिहास है | पुल का अपना इतिहास है | ||
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तो नदी का भी अपना इतिहास है | तो नदी का भी अपना इतिहास है | ||
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पुल का इतिहास | पुल का इतिहास | ||
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मनुष्य ने बनाया है | मनुष्य ने बनाया है | ||
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नदी ने अपना इतिहास खुद बनाया है | नदी ने अपना इतिहास खुद बनाया है | ||
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इसलिए पुल नहीं दौड़ पाता है | इसलिए पुल नहीं दौड़ पाता है | ||
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किसी नदी की तरह | किसी नदी की तरह | ||
− | + | '''4.''' | |
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पुल ने जब नदी को पुकारा | पुल ने जब नदी को पुकारा | ||
− | + | नदी बरसात में ऊपर तक चली आई | |
− | नदी बरसात में ऊपर तक चली | + | |
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उससे मिलने | उससे मिलने | ||
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नदी ने जब पुल को पुकारा | नदी ने जब पुल को पुकारा | ||
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वह चाह कर भी नीचे नहीं उतर सका | वह चाह कर भी नीचे नहीं उतर सका | ||
− | + | उसके दोनों पाँव थे जमे धरती में | |
− | उसके दोनों | + | |
− | + | ||
पुल की यह बेबसी | पुल की यह बेबसी | ||
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उसे अक्सर कचोटती रहती है | उसे अक्सर कचोटती रहती है | ||
− | + | '''5.''' | |
− | + | ||
− | + | ||
पुल आसमान में उड़ना चाहता है | पुल आसमान में उड़ना चाहता है | ||
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चाहती , नदी भी है | चाहती , नदी भी है | ||
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वह दोनों उड़ नहीं पाते | वह दोनों उड़ नहीं पाते | ||
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दोनों के पास नहीं है कोई पंख | दोनों के पास नहीं है कोई पंख | ||
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दोनों आसमान में उड़ती चिड़िया को देखते हैं | दोनों आसमान में उड़ती चिड़िया को देखते हैं | ||
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दोनों अगले जन्म में | दोनों अगले जन्म में | ||
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चिड़िया बनना चाहते हैं | चिड़िया बनना चाहते हैं | ||
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इसलिए चिड़िया भी आकर पुल पर बैठती है | इसलिए चिड़िया भी आकर पुल पर बैठती है | ||
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और अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी पर झुकती है | और अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी पर झुकती है | ||
− | + | '''6.''' | |
− | + | ||
− | + | ||
एक दिन पुल उड़ गया आसमान में | एक दिन पुल उड़ गया आसमान में | ||
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उसने वहीं से चिल्ला कर कहा | उसने वहीं से चिल्ला कर कहा | ||
− | + | बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे | |
− | बड़ा | + | एक दिन नदी भी उड़ गई आसमान में |
− | + | ||
− | एक दिन नदी भी उड़ | + | |
− | + | ||
उसने हाथ हिला कर कहा | उसने हाथ हिला कर कहा | ||
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अब तो बादल मेरे पास है | अब तो बादल मेरे पास है | ||
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दरअसल दोनों धरती पर थे | दरअसल दोनों धरती पर थे | ||
+ | उनके ख्वाब उड़ा कर ले गए थे आसमान में | ||
− | + | '''7.''' | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
एक रात पुल नदी पर झुक आया | एक रात पुल नदी पर झुक आया | ||
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उसे चूमने लगा | उसे चूमने लगा | ||
− | + | नदी पहले तो कसमसाई | |
− | नदी पहले तो | + | |
− | + | ||
फिर एक रात नदी ने | फिर एक रात नदी ने | ||
− | |||
पुल को बाहों में भर लिया | पुल को बाहों में भर लिया | ||
− | |||
सिर्फ चन्द्रमा था | सिर्फ चन्द्रमा था | ||
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उस दिन आसमान में | उस दिन आसमान में | ||
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और जंगल में सियार थे | और जंगल में सियार थे | ||
− | |||
दोनों के प्रेम के साक्षी | दोनों के प्रेम के साक्षी | ||
− | + | '''8.''' | |
− | + | ||
− | + | ||
नदी ने पुल को बाहों में भरते हुए कहा | नदी ने पुल को बाहों में भरते हुए कहा | ||
− | + | तुम कितने जर्जर हो गए हो | |
− | तुम कितने जर्जर हो | + | जब भी कोई रेल गुज़रती है तुम्हारे ऊपर से |
− | + | मेरा सीना काँप उठता है | |
− | जब भी कोई रेल | + | |
− | + | ||
− | मेरा सीना | + | |
− | + | ||
पुल ने नदी के बालों को छूते हुए कहा | पुल ने नदी के बालों को छूते हुए कहा | ||
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तुम्हारा पानी भी तो सूखता जा रहा है | तुम्हारा पानी भी तो सूखता जा रहा है | ||
+ | तुम रेत में धँसती जा रही हो दिन-रात | ||
+ | कैसे पकडूँगा अब मैं ऊपर से तुम्हारा हाथ | ||
− | + | '''9.''' | |
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− | + | ||
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− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | नदी पुल के पास और क़रीब और क़रीब | ||
आना चाहती है। | आना चाहती है। | ||
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कोई गाना उसके कान में धीरे से गाना चाहती है | कोई गाना उसके कान में धीरे से गाना चाहती है | ||
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जितना बचा है पानी उसमें उसके संग नहाना चाहती है | जितना बचा है पानी उसमें उसके संग नहाना चाहती है | ||
− | + | '''10.''' | |
− | + | ||
− | + | ||
पुल को भरोसा था | पुल को भरोसा था | ||
− | |||
अगर वह एक दिन गिर गया | अगर वह एक दिन गिर गया | ||
− | |||
तो नदी उसे थाम लेगी | तो नदी उसे थाम लेगी | ||
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नदी को भी यकीन था | नदी को भी यकीन था | ||
− | |||
पुल उसे दूर बहने नहीं देगा | पुल उसे दूर बहने नहीं देगा | ||
− | + | पानी की हर बूँद को | |
− | पानी की हर | + | |
− | + | ||
अपनी अलग कहानी कहने नहीं देगा | अपनी अलग कहानी कहने नहीं देगा | ||
− | + | '''11.''' | |
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पुल के पास अब ढेर सारे सपने हैं | पुल के पास अब ढेर सारे सपने हैं | ||
− | + | तो नदी के पास भी ख़ूब सारे ख़्वाब | |
− | तो नदी के पास भी | + | |
− | + | ||
पुल के पास कोई पुराना गीत है | पुल के पास कोई पुराना गीत है | ||
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नदी के पास भी कोई दुर्लभ राग | नदी के पास भी कोई दुर्लभ राग | ||
− | + | '''12.''' | |
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+ | एक दिन सिर्फ़ पुल था | ||
+ | नदी कहीं गायब हो गई थी | ||
+ | एक दिन सिर्फ़ नदी थी | ||
पुल आसपास कहीं नहीं था | पुल आसपास कहीं नहीं था | ||
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दोनों उस दिन अकेले थे | दोनों उस दिन अकेले थे | ||
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इसलिए अधूरे थे | इसलिए अधूरे थे | ||
− | + | '''13.''' | |
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+ | पुल के नीचे काफी अन्धेरा है | ||
+ | वहाँ अक्सर हत्याएँ होती रहती हैं | ||
+ | नदी के भीतर भी काफ़ी ख़ून है | ||
+ | वहाँ कोई छाया डोलती रहती है | ||
पुल और नदी दिन रात सोचते रहते हैं | पुल और नदी दिन रात सोचते रहते हैं | ||
+ | उनके जीवन में यह बुरा वक़्त कहाँ से आ गया | ||
− | + | '''14.''' | |
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पुल के ढेर सारे किस्से हैं | पुल के ढेर सारे किस्से हैं | ||
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तो नदी के भी ढेर सारे किस्से हैं | तो नदी के भी ढेर सारे किस्से हैं | ||
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पुल और नदी एक दूसरे से पूछते हैं | पुल और नदी एक दूसरे से पूछते हैं | ||
+ | आख़िर किस्से हमारे लिखता है कौन ? | ||
− | + | '''15.''' | |
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नदी और पुल का यह पुराना किस्सा है | नदी और पुल का यह पुराना किस्सा है | ||
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पता नहीं आखिर किसमें किसका कितना हिस्सा है | पता नहीं आखिर किसमें किसका कितना हिस्सा है | ||
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+ | नदी जब अपने भीतर झाँकती है | ||
+ | तो उसे शंख , सीपियाँ पत्थर | ||
+ | और मछलियाँ दिखाई देती हैं | ||
+ | पुल जब अपने भीतर झाँकता है | ||
+ | तो उसे किसी का पसीना नज़र आता है | ||
और लोहा बनता रहता है | और लोहा बनता रहता है | ||
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दोनों का यह अन्त्यावलोकन ही | दोनों का यह अन्त्यावलोकन ही | ||
+ | बचाए हुए है उनकी सुन्दरता | ||
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नदी के भीतर से रेल जा रही है | नदी के भीतर से रेल जा रही है | ||
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पुल के ऊपर से ट्राम जा रहा है | पुल के ऊपर से ट्राम जा रहा है | ||
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एक बच्चा पुल पर बैठा कुछ खा रहा है | एक बच्चा पुल पर बैठा कुछ खा रहा है | ||
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एक आदमी नदी के किनारे गा रहा है | एक आदमी नदी के किनारे गा रहा है | ||
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ट्रेन के सफर में | ट्रेन के सफर में | ||
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आदमी सब कुछ भूल जाता है | आदमी सब कुछ भूल जाता है | ||
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पर याद रहता है पुल | पर याद रहता है पुल | ||
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यदि रहती है नदी जिन्दगी पर | यदि रहती है नदी जिन्दगी पर | ||
− | + | दोनों पीछा करते हैं मनुष्य का मृत्यु तक | |
− | दोनों पीछा करते हैं मनुष्य का मृत्यु तक < | + | </poem> |
20:14, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
1.
पुल का एक हिस्सा अतीत में है
तो दूसरा वर्तमान में
और तीसरा भविष्य में
नदी भी डूबी है जितनी अतीत में
उतनी ही वर्तमान में
पर उससे भी कहीं ज्यादा डूबी भविष्य में पुल की तरह
समय की तलवार
दोनों के जिस्मों को काटती है
एक ही तरीके से
2.
पुल ने इतिहास को बनते हुए देखा है
नदी ने भी देखा है इतिहास को बनते हुए
लेकिन अब इतिहास ने दोनों को काफ़ी बदल दिया है
इस बदले हुए इतिहास को
गहरी पीड़ा के साथ रेत और पत्थरों ने देखा है
3.
पुल का अपना इतिहास है
तो नदी का भी अपना इतिहास है
पुल का इतिहास
मनुष्य ने बनाया है
नदी ने अपना इतिहास खुद बनाया है
इसलिए पुल नहीं दौड़ पाता है
किसी नदी की तरह
4.
पुल ने जब नदी को पुकारा
नदी बरसात में ऊपर तक चली आई
उससे मिलने
नदी ने जब पुल को पुकारा
वह चाह कर भी नीचे नहीं उतर सका
उसके दोनों पाँव थे जमे धरती में
पुल की यह बेबसी
उसे अक्सर कचोटती रहती है
5.
पुल आसमान में उड़ना चाहता है
चाहती , नदी भी है
वह दोनों उड़ नहीं पाते
दोनों के पास नहीं है कोई पंख
दोनों आसमान में उड़ती चिड़िया को देखते हैं
दोनों अगले जन्म में
चिड़िया बनना चाहते हैं
इसलिए चिड़िया भी आकर पुल पर बैठती है
और अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी पर झुकती है
6.
एक दिन पुल उड़ गया आसमान में
उसने वहीं से चिल्ला कर कहा
बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे
एक दिन नदी भी उड़ गई आसमान में
उसने हाथ हिला कर कहा
अब तो बादल मेरे पास है
दरअसल दोनों धरती पर थे
उनके ख्वाब उड़ा कर ले गए थे आसमान में
7.
एक रात पुल नदी पर झुक आया
उसे चूमने लगा
नदी पहले तो कसमसाई
फिर एक रात नदी ने
पुल को बाहों में भर लिया
सिर्फ चन्द्रमा था
उस दिन आसमान में
और जंगल में सियार थे
दोनों के प्रेम के साक्षी
8.
नदी ने पुल को बाहों में भरते हुए कहा
तुम कितने जर्जर हो गए हो
जब भी कोई रेल गुज़रती है तुम्हारे ऊपर से
मेरा सीना काँप उठता है
पुल ने नदी के बालों को छूते हुए कहा
तुम्हारा पानी भी तो सूखता जा रहा है
तुम रेत में धँसती जा रही हो दिन-रात
कैसे पकडूँगा अब मैं ऊपर से तुम्हारा हाथ
9.
नदी पुल के पास और क़रीब और क़रीब
आना चाहती है।
कोई गाना उसके कान में धीरे से गाना चाहती है
जितना बचा है पानी उसमें उसके संग नहाना चाहती है
10.
पुल को भरोसा था
अगर वह एक दिन गिर गया
तो नदी उसे थाम लेगी
नदी को भी यकीन था
पुल उसे दूर बहने नहीं देगा
पानी की हर बूँद को
अपनी अलग कहानी कहने नहीं देगा
11.
पुल के पास अब ढेर सारे सपने हैं
तो नदी के पास भी ख़ूब सारे ख़्वाब
पुल के पास कोई पुराना गीत है
नदी के पास भी कोई दुर्लभ राग
12.
एक दिन सिर्फ़ पुल था
नदी कहीं गायब हो गई थी
एक दिन सिर्फ़ नदी थी
पुल आसपास कहीं नहीं था
दोनों उस दिन अकेले थे
इसलिए अधूरे थे
13.
पुल के नीचे काफी अन्धेरा है
वहाँ अक्सर हत्याएँ होती रहती हैं
नदी के भीतर भी काफ़ी ख़ून है
वहाँ कोई छाया डोलती रहती है
पुल और नदी दिन रात सोचते रहते हैं
उनके जीवन में यह बुरा वक़्त कहाँ से आ गया
14.
पुल के ढेर सारे किस्से हैं
तो नदी के भी ढेर सारे किस्से हैं
पुल और नदी एक दूसरे से पूछते हैं
आख़िर किस्से हमारे लिखता है कौन ?
15.
नदी और पुल का यह पुराना किस्सा है
पता नहीं आखिर किसमें किसका कितना हिस्सा है
16.
नदी जब अपने भीतर झाँकती है
तो उसे शंख , सीपियाँ पत्थर
और मछलियाँ दिखाई देती हैं
पुल जब अपने भीतर झाँकता है
तो उसे किसी का पसीना नज़र आता है
और लोहा बनता रहता है
दोनों का यह अन्त्यावलोकन ही
बचाए हुए है उनकी सुन्दरता
17.
नदी के भीतर से रेल जा रही है
पुल के ऊपर से ट्राम जा रहा है
एक बच्चा पुल पर बैठा कुछ खा रहा है
एक आदमी नदी के किनारे गा रहा है
18.
ट्रेन के सफर में
आदमी सब कुछ भूल जाता है
पर याद रहता है पुल
यदि रहती है नदी जिन्दगी पर
दोनों पीछा करते हैं मनुष्य का मृत्यु तक