भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैंने जन्म नहीं मांगा था! / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(Undo revision 14861 by Pratishtha (talk))
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=शरद बिलौरे
+
|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
|संग्रह=तय तो यही हुआ था / शरद बिलौरे
+
|संग्रह=न दैन्यं न पलायनम् / अटल बिहारी वाजपेयी
 
}}
 
}}
  

03:44, 22 दिसम्बर 2007 का अवतरण

मैंने जन्म नहीं माँगा था,
किन्तु मरण की माँग करुँगा।

जाने कितनी बार जिया हूँ,
जाने कितनी बार मरा हूँ।
जन्म मरण के फेरे से मैं,
इतना पहले नहीं डरा हूँ।

अन्तहीन अँधियार ज्योति की,
कब तक और तलाश करूँगा।
मैंने जन्म नहीं माँगा था,
किन्तु मरण की माँग करूँगा।

बचपन, यौवन और बुढ़ापा,
कुछ दशकों में खत्म कहानी।
फिर-फिर जीना, फिर-फिर मरना,
यह मजबूरी या मनमानी ?

पूर्व जन्म के पूर्व बसी—
दुनिया का द्वारचार करूँगा।
मैंने जन्म नहीं माँगा था,
किन्तु मरण की माँग करूँगा।